भारत की IT कंपनियों में आया 1.4 बिलियन डॉलर का बंपर विदेशी निवेश

इस सेक्टर में इनफ्लो टेक्नोलॉजी शेयरों में शेयरों की मूवमेंट के साथ मेल खाता है, क्योंकि IT बेंचमार्क NSE निफ्टी IT लगभग 11% चढ़ा, जबकि निफ्टी 50 महीने के दौरान सिर्फ 3.3% ही ऊपर था.

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नई दिल्ली:

पूरी दुनिया में जहां टेक्नोलॉजी शेयरों की पिटाई हो रही है, निवेशक अपना पैसा टेक शेयरों से निकाल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ लंबे समय तक नजरअंदाज रहने के बाद भारत की टेक कंपनियां अब विदेशी निवेशकों की आंखों का तारा बन रही हैं, वजह है पहली तिमाही में IT कंपनियों के शानदार नतीजे और उनका पॉजिटिव गाइडेंस.

IT कंपनियों में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी

NSDL की ओर से मिले डेटा के मुताबिक जुलाई में विदेशी कंपनियों ने भारत की टेक कंपनियों में रिकॉर्डतोड़ निवेश किया है. मार्केट रेगुलेटर SEBI और डिपॉजिटिरी फर्म NSDL की ओर से दिए गए डेटा का एनालिसिस करने के बाद NDTV प्रॉफिट ने पाया कि विदेशी निवेशकों ने पिछले महीने देश के टेक्नोलॉजी सेक्टर में 1.4 बिलियन डॉलर का निवेश किया था. ये मार्च 2012 के बाद किसी भी महीने में निवेश का सबसे ऊंचा आंकड़ा है, SEBI, NSDL ने मार्च 2012 से ही FPIs के सेक्टर वाइज इनफ्लो और आउटफ्लो डेटा का हिसाब किताब रखना शुरू किया था.

इस सेक्टर में तीन-चौथाई से ज्यादा या करीब 1 बिलियन डॉलर का इनफ्लो महीने के दूसरे हाफ के दौरान आया. जबकि जुलाई के दौरान कुल 3.8 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश आया था.

इस सेक्टर में इनफ्लो टेक्नोलॉजी शेयरों में शेयरों की मूवमेंट के साथ मेल खाता है, क्योंकि IT बेंचमार्क NSE निफ्टी IT लगभग 11% चढ़ा, जबकि निफ्टी 50 महीने के दौरान सिर्फ 3.3% ही ऊपर था. IT इंडेक्स में इस तेजी का परचम कई कंपनियों ने लहराया, सबसे आगे रहा इंफोसिस, जो 17% से ज्यादा चढ़ा, इसके बाद एम्फैसिस और कोफोर्ज का नंबर आता है. जो महीने के दौरान 16% और 14% तक उछले.

IT दिग्गज इंफोसिस को FY25 के लिए 3-5% रेवेन्यू ग्रोथ का अनुमान है, जबकि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने 26-28% मार्जिन लेवल का दावा किया है, HCL टेक ने FY25 के लिए रेवेन्यू ग्रोथ और ऑपरेटिंग मार्जिन के अपने अनुमानों को जारी किया है. इस बीच, पहली तिमाही के नतीजों के बाद, IT क्षेत्र में नतीजों के सीजन की शुरुआत के बाद से कंपनियों की प्रति शेयर आय के अनुमान में बड़े पैमाने पर डाउनग्रेड देखने को मिला है.

हालांकि, डाउनग्रेड के सामान्य ट्रेंड के बीच, इंफोसिस ने अपने 12 महीने के फॉरवर्ड EPS में 19.3% की ग्रोथ के साथ एक धमाकेदार प्रदर्शन किया है.

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ग्लोबल फंड्स ने जून में खरीदे गए लगभग सभी शेयरों को बेच दिया है और 913 मिलियन डॉलर का आउटफ्लो रहा है, जो कि जुलाई में सेक्टर का सबसे अधिक आउटफ्लो है. जहां मेटल, माइनिंग और ऑटोमोबाइल सेक्टर में इनफ्लो देखा गया है, पावर और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टर्स में में महीने के दौरान आउटफ्लो रहा है.

एशिया के पांचवें सबसे बड़े शेयर बाजार ने जुलाई में 2.67 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश हासिल किया है, जबकि 23 जुलाई को ही सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) में बढ़ोतरी के साथ लॉन्ग और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स में बढ़ोतरी की गई थी. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार के मुताबिक, आगे चलकर, कुछ घटनाक्रम FPI इनफ्लो पर असर डाल सकते हैं.

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उन्होंने कहा, अमेरिका में रोजगार में तेज गिरावट और बढ़ती बेरोजगारी से संकेत मिलता है कि सितंबर में फेड की तरफ से रेट कट की बहुत अधिक संभावना है. विजयकुमार ने कहा कि भले ही ये भारत जैसे उभरते बाजारों में FPI निवेश के लिए सकारात्मक है, विदेशी निवेशक देश से ज्यादा पैसा निकालने के बारे में सोच सकते हैं क्योंकि ये अब सबसे महंगा उभरता बाजार है.

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