भारत ने दुनिया में सबसे बेहतर डिजिटल इकोनॉमी और फाइनेंस सिस्टम का किया निर्माण:माइकल स्पेंस

Indian Economy: बेनेट यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी बयान के मुताबिक,माइकल स्पेंस ने यह भी कहा कि दुनिया इस समय 'वैश्विक अर्थव्यवस्था एक तरह का महत्वपूर्ण बदलाव महसूस कर रही है.

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India's Digital Economy : माइकल स्पेंस ने कहा कि भारत अभी उच्चतम संभावित वृद्धि दर वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है.
नई दिल्ली:

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री ए माइकल स्पेंस (A. Michael Spence) ने कहा है कि भारत  उच्चतम संभावित वृद्धि दर वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है. उन्होंने कहा कि भारत ने  दुनिया में अब तक की सबसे अच्छी डिजिटल इकोनॉमी (Digital Economy) और फाइनेंस सिस्टम तैयार किया है. वर्ष 2001 में अर्थशास्त्र के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित माइकल स्पेंस ने सोमवार को ग्रेटर नोएडा में स्थित बेनेट यूनिवर्सिटी में छात्रों और शिक्षकों के साथ संवाद के दौरान यह बात कही.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने माइकल स्पेंस द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कही गई इन अहम बातों का एक हिस्सा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी शेयर किया है. जिसमें माइकल स्पेंस ने कहा, 'भारत अभी उच्चतम संभावित वृद्धि दर वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है. भारत ने दुनिया में अब तक की सबसे अच्छी डिजिटल इकोनॉमी और फाइनेंस सिस्टम को सफलतापूर्वक विकसित किया है. यह खुला एवं प्रतिस्पर्धी है और विशाल क्षेत्र में समावेशी किस्म की सेवाएं प्रदान करता है.'

बेनेट यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, स्पेंस ने यह भी कहा कि दुनिया इस समय 'वैश्विक अर्थव्यवस्था एक तरह का महत्वपूर्ण बदलाव महसूस कर रही है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास का जिक्र करते हुए स्पेंस ने कहा कि 70 साल पुरानी वैश्विक प्रणाली महामारी, भू-राजनीतिक तनाव और जलवायु झटके से जूझ हो रही है.

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उन्होंने कहा कि इस बात पर जोर देते हुए कहा कि ग्लोबल सप्लाय चेन जैसे आर्थिक मानदंडों पर बनी वैश्विक प्रणाली दक्षता और तुलनात्मक लाभ पर केंद्रित है और तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रही है. उन्होंने कहा, 'झटकों को लेकर संवेदनशील दुनिया में एक ही स्रोत रखने का कोई मतलब नहीं है.'

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उन्होंने कहा कि गुरुत्वाकर्षण का केंद्र पूर्वी दुनिया की तरफ खिसकने के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक बुनियादी बदलाव आ रहा है. इससे आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता आ रही है और ग्लोबल गवर्नेंस पहले से अधिक जटिल होता जा रहा है.जाने-माने अर्थशास्त्री ने कहा कि चुनौतीपूर्ण समय के बावजूद ह्यूमन वेलफेयर बढ़ाने के लिए जवाबी कदम होने से आशावाद पनपता है. उन्होंने ‘जनरेटिव एआई', बायो मेडिकल लाईफ साइंस में रिवॉल्यूशन और बड़े पैमाने पर एनर्जी ट्रांजिशन जैसे बदलावों का भी जिक्र किया.

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