भारत सरकार अब ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट को नई रफ्तार देने की तैयारी में है. छोटे और मिड-साइज बिजनेस के लिए विदेशों में सामान बेचना आसान बनाने के लिए सरकार एक नए एक्सपोर्ट एंटिटी मॉडल पर काम कर रही है. इस मॉडल के तहत खास एक्सपोर्ट एंटिटी बनाई जाएगी, जो कस्टम क्लियरेंस, पेपरवर्क और लॉजिस्टिक्स जैसे काम संभालेगी, जबकि छोटे व्यापारी और MSME अपने प्रोडक्ट और ब्रांडिंग पर ध्यान दे सकेंगे.
NDTV Profit के मुताबिक, वाणिज्य मंत्रालय इस पर पायलट प्रोग्राम शुरू करने पर विचार कर रहा है. शुरुआत में कुछ ही एक्सपोर्ट एंटिटी को अनुमति दी जाएगी, और फिर धीरे-धीरे इसे बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा.
MSME और छोटे व्यापारियों को फायदा
अक्सर छोटे व्यापारी और MSME को क्रॉस-बॉर्डर ट्रेड में डॉक्युमेंटेशन और ज्यादा खर्च की दिक्कत आती है. नए मॉडल में एक्सपोर्ट एंटिटी थर्ड पार्टी(third-party facilitator) की तरह काम करेगी और डॉक्युमेंटेशन, लॉजिस्टिक्स से लेकर रिफंड और रिटर्न तक की जिम्मेदारी लेगी. इससे छोटे व्यापारियों को बड़ा फायदा मिलेगा क्योंकि वे सिर्फ क्वालिटी और प्रोडक्ट डिवेलपमेंट पर फोकस कर पाएंगे.
एक्सपोर्ट बेनिफिट्स का फायदा
इन एक्सपोर्ट एंटिटी को GST रिफंड और ड्यूटी ड्रॉबैक जैसे लाभ भी मिल सकते हैं. सरकार ऐसा सिस्टम बनाने पर विचार कर रही है जिससे MSME के साथ ये बेनिफिट शेयर किए जा सकें.
ई-कॉमर्स हब से होगा लिंक
यह मॉडल सरकार की E-commerce Export Hubs स्कीम से भी जोड़ा जाएगा. इससे खास जोन बनाए जाएंगे जहां से शिपमेंट प्रोसेसिंग होगी. इससे छोटे और मध्यम व्यापारियों की भागीदारी बढ़ेगी और भारत का एक्सपोर्ट बेस और ज्यादा डाइवर्सिफाई होगा.
ग्लोबल कंपनियों से चर्चा
इस प्रस्ताव पर सरकार ने Amazon, Flipkart, FedEx, DHL जैसी ग्लोबल कंपनियों के साथ-साथ इंडस्ट्री बॉडी और RBI के फॉरेन एक्सचेंज डिपार्टमेंट से भी चर्चा की है. इसका मकसद है कि कोई बड़ा ई-कॉमर्स प्लेयर ज्यादा पावर न जमा सके और छोटे व्यापारियों को भी बराबरी का मौका मिले.
फिलहाल यह प्रस्ताव चर्चा के चरण में है, लेकिन संकेत यही हैं कि आने वाले समय में इसे लागू किया जा सकता है. सरकार का मानना है कि यह कदम न सिर्फ MSME को मदद करेगा बल्कि भारत के ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट को वैश्विक स्तर पर नई पहचान देगा.