बांग्लादेश संकट से भारत के कॉटन फैब्रिक एक्सपोर्ट पर हुआ असर, गिरिराज सिंह ने कहा- भारत के पास कई विकल्प

कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि बांग्लादेश में हालात सुधर जाएंगे. लेकिन अगर हालात बिगड़ते भी हैं तो भी हमारे पास कई विकल्प हैं.

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केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह.
नई दिल्ली:

बांग्लादेश में राजनीतिक अनिश्चितता का असर भारत-बांग्लादेश व्यापार पर गहराता जा रहा है. सीमा पर व्यापार अब भी पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाया है. यूरोप और अन्य विकसित देशों के कपड़ा कारोबारी बांग्लादेश में नए ऑर्डर्स कम प्लेस कर रहे हैं, और भारत से एक्सपोर्ट होने वाले कॉटन की सप्लाई भी पिछले एक महीने में घट गई है. एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो भारत के पास कई दूसरे विकल्प हैं.  

टेक्सटाइल सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स को वाणिज्य भवन में सम्बोधित करते हुए कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने बांग्लादेश के राजनीतिक हालात पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि, "जब यह बांग्लादेश की घटना घटी तो हम बात कर रहे थे कि क्या होगा...मैंने कहा - कुछ नहीं होगा.... टेक्सटाइल का एंड पॉइंट गारमेंट है चाहे होममेड है...आज जो लेबर रेट है, चाहे वियतनाम हो, बांग्लादेश हो ...वैसे अब बांग्लादेश ऐसे हाथ में चला गया है, ऐसे हाथ में उसकी डोरी है कि पाकिस्तान का बड़ा भाई बन जाएगा, छोटा नहीं रहेगा... तो कौन इन्वेस्टर वहां जाएगा?"

दरअसल पिछले कुछ हफ़्तों में बांग्लादेश में राजनीतिक घटनाक्रम का सीधा असर भारत-बांग्लादेश व्यापार पर पड़ रहा है. भारत से करीब 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कॉटन फैब्रिक बांग्लादेश एक्सपोर्ट होता है. लेकिन वहां जारी राजनीतिक संकट की वजह से पिछले एक महीने में कॉटन यार्न और कॉटन फैब्रिक दोनों का एक्सपोर्ट भारत से घटा है. इसको लेकर भारतीय कारोबारियों की चिंता बढ़ती जा रही है.    

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कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह से जब NDTV ने पूछा कि बांग्लादेश में राजनीतिक घटनाक्रम का कितना असर गारमेंट और कॉटन ट्रेड पर पड़ रहा है, तो जवाब में उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि बांग्लादेश में हालात सुधर जाएंगे. लेकिन अगर हालात बिगड़ते भी हैं तो भी हमारे पास कई विकल्प हैं...भारत-बांग्लादेश सीमा व्यापार को लेकर कठिनाइयां हैं. आने वाले समय में यह सॉल्व होनी चाहिए. लेकिन अगर हालात नहीं भी सुधरते हैं तो भारत को कोई असुविधा नहीं होगी."

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बांग्लादेश ग्लोबल गारमेंट ट्रेड में मेन-मेड फैब्रिक्स का हब माना जाता है. वहां संकट की वजह से रेडीमेड मेन-मेड गारमेंट्स की सप्लाई प्रभावित हो रही है. इसका सबसे ज्यादा असर मेन-मेड फैब्रिक्स पर पड़ने की आशंका है.

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एप्पारेल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने एनडीटीवी से कहा, "बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अनिश्चितता की वजह से भारत से कॉटन यार्न और कॉटन फैब्रिक का एक्सपोर्ट पिछले कुछ हफ्तों में घटा है. भारत बांग्लादेश सीमा व्यापार पहले की तरह अभी सामान्य नहीं हो पाया है. सीमा पर ट्रकों की आवाजाही पहले की तरह सामान्य नहीं हो पाई है. बांग्लादेश में गारमेंट इंडस्ट्री सेक्टर में स्लो डाउन हुआ है, क्योंकि वेस्टर्न बायर्स पहले की तरह आर्डर प्लेस नहीं कर रहे हैं. बांग्लादेश में गठित अंतरिम सरकार की आर्थिक नीति को लेकर अभी क्लियरिटी नहीं है कि वह भारत-बांग्लादेश व्यापार को आगे किस ओर ले जाना चाहते हैं."  

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सन 2023-24 के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच करीब 13 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था जिसमें से करीब 11 अरब डॉलर की हिस्सेदारी भारत से निर्यात होने वाले सामान की थी. जाहिर है, भारत सरकार और कपड़ा व्यापारियों को आने वाले दिनों में बांग्लादेश के बदलते हालात पर कड़ी नजर रखनी होगी.

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