अगर एक बार New Tax Regime चुना, तो अगले साल Old Tax Regime नहीं चुन सकते - जानें सच्चाई

बहुत-सी जगह ऐसी अफ़वाह फैली हुई है कि अगर किसी टैक्सपेयर ने एक बार New Tax Regime, यानी नई टैक्स व्यवस्था को चुन लिया, तो फिर वह चाहकर भी Old Tax Regime, यानी पुरानी टैक्स व्यवस्था को नहीं चुन सकता. लेकिन इस तरह की ख़बरें अफ़वाह ही हैं, और पूरी तरह सच नहीं हैं.

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जो टैक्सपेयर मानक कटौती, यानी Standard Deduction के अलावा अलग-अलग मदों में कुल मिलाकर ₹3 लाख या उससे ज़्यादा Exemptions या Deductions हासिल करते हैं, उनके लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था ही बेहतर रहेगी.
नई दिल्ली:

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने पिछले साल, यानी बजट 2023 की स्पीच के दौरान मध्यम वर्ग, यानी मिडिल क्लास को इन्कम टैक्स (Income Tax) में राहत देने के लिए ₹7 लाख से कम सालाना आमदनी वाले टैक्सपेयरों को टैक्स से पूरी तरह छूट दे दी थी, जबकि उससे पहले यह छूट सिर्फ़ उन्हें मिलती थी, जिनकी सालाना आमदनी ₹5 लाख से कम होती थी. इस राहत घोषणा में सबसे ज़रूरी और गौरतलब प्वाइंट यह था यह छूट सिर्फ़ उन करदाताओं को दी जानी है, जो नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) अपनाएंगे, और पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) को छोड़ देंगे.

एक बात और ध्यान रखने योग्य है कि यह छूट वित्तवर्ष 2023-24 (Financial Year 2023-24) की आय का हिसाब-किताब करते वक्त, यानी ITR फ़ाइल करते वक्त ही दी जाएगी. वैसे, जो करदाता छोटी बचत योजनाओं (Small Savings Schemes) में निवेश किया करते हैं, या जीवन बीमा पॉलिसियां खरीद चुके हैं, और प्रीमियम अदा कर रहे हैं, या जिन्होंने पीपीएफ़ खाता (PPF Account) खुलवा रखा है, या घर के लिए होम लोन लिया है, या किराये के मकान में रहकर मकान किराया भत्ते (House Rent Allowance) में HRA Exemption हासिल करते हैं, उनके लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था ही बेहतर बताई जाती है. मोटे तौर पर कहा जाए, तो जो टैक्सपेयर मानक कटौती, यानी Standard Deduction के अलावा अलग-अलग मदों में कुल मिलाकर ₹3 लाख या उससे ज़्यादा Exemptions या Deductions हासिल करते हैं, उनके लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था ही बेहतर रहेगी. इसलिए, जब आप ITR, यानी इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करें, तो पूरा हिसाब लगाकर ही फ़ायदेमंद टैक्स व्यवस्था चुननी चाहिए.

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दूर कर लें यह गलतफ़हमी...

बहुत-सी जगह ऐसी अफ़वाह फैली हुई है कि अगर किसी टैक्सपेयर ने एक बार New Tax Regime, यानी नई टैक्स व्यवस्था को चुन लिया, तो फिर वह चाहकर भी Old Tax Regime, यानी पुरानी टैक्स व्यवस्था को नहीं चुन सकता. लेकिन इस तरह की ख़बरें अफ़वाह ही हैं, और पूरी तरह सच नहीं हैं. असलियत यह है कि नियमानुसार सिर्फ़ बिज़नेस क्लास टैक्सपेयर, जो वेतनभोगी या पेंशनर नहीं हैं, ही एक बार नई टैक्स व्यवस्था चुनने के बाद पुरानी टैक्स व्यवस्था पर नहीं लौट सकेंगे. वेतनभोगियों, यानी सैलरीड क्लास के लिए नई या पुरानी टैक्स व्यवस्था चुनने का विकल्प हर वर्ष उपलब्ध रहेगा, यानी एक बार नई टैक्स व्यवस्था चुनने के बावजूद वह चाहे, तो अगले साल पुरानी टैक्स व्यवस्था पर लौट सकता है.

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क्या थी वास्तविक घोषणा...?

वित्तमंत्री ने वर्ष 2020 में वित्तवर्ष 2020-21, यानी आकलन वर्ष 2021-22 (Assessment Year 2021-22) से इन्कम टैक्स एक्ट की धारा 115बीएसी के तहत नई टैक्स व्यवस्था की घोषणा की थी. उस वक्त भी नई व्यवस्था के तहत घोषित इन्कम टैक्स स्लैब काफ़ी फ़यदेमंद थीं, यानी न्यू टैक्स रिजीम में बड़ी आमदनी तक भी टैक्स की दरें काफ़ी कम रखी गई थीं, लेकिन इस व्यवस्था में किसी भी तरह की छूट या कटौती हासिल करने का प्रावधान नहीं दिया गया था. पुरानी टैक्स व्यवस्था ज्यों की त्यों बरकरार रखी गई थी, जिसमें ढाई लाख रुपये तक की कमाई पर शून्य टैक्स देना होता था, ₹2.5 लाख से ₹5 लाख तक की आय पर 5 फ़ीसदी, ₹5 से ₹10 लाख तक की कमाई पर 20 फ़ीसदी और ₹10 लाख से ज़्यादा की कमाई पर 30 फ़ीसदी टैक्स देना होता था. ये स्लैब पुरानी टैक्स व्यवस्था में अब तक भी बिल्कुल ऐसे ही हैं.

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नई टैक्स व्यवस्था में इन्कम टैक्स स्लैब...

वर्ष 2020 के बजट में की गई घोषणा के अनुसार, नई टैक्स व्यवस्था में बनाए गए टैक्स स्लैब के मुताबिक, ₹2.5 लाख तक की कमाई पर शून्य टैक्स, ₹2.5 से ₹5 लाख तक की आय पर 5 फ़ीसदी, ₹5 से ₹7.5 लाख तक की आय पर 10 फ़ीसदी, ₹7.5 लाख से ₹10 लाख तक की कमाई पर 15 फ़ीसदी, ₹10 से ₹12.5 लाख तक की कमाई पर 20 फ़ीसदी, ₹12.5 लाख से ₹15 लाख तक की आमदनी पर 25 फ़ीसदी और ₹15 लाख से ज़्यादा की कमाई पर 30 फ़ीसदी टैक्स देना होता था, लेकिन अब नई टैक्स व्यवस्था की टैक्स स्लैबों में परिवर्तन किया जा चुका है, और अब करमुक्त आय की राशि को ₹2.5 लाख से बढ़ाकर ₹3 लाख किया जा चुका है. इससे अगले ₹3 लाख, यानी ₹3 लाख से ₹6 लाख तक की कमाई पर नई टैक्स व्यवस्था अपनाने वालों को 5 फ़ीसदी टैक्स देना होगा, ₹6 से ₹9 लाख तक की कमाई पर 10 फ़ीसदी टैक्स वसूला जाएगा, ₹9 से ₹12 लाख तक की आमदनी पर ₹15 फ़ीसदी टैक्स लिया जाएगा, और ₹12 से ₹15 लाख तक की आय पर 20 फ़ीसदी टैक्स देना होगा. ₹15 लाख रुपये से ज़्यादा की आमदनी पर पहले की ही तरह 30 फ़ीसदी टैक्स चुकाना होगा.

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NTR में ₹7 लाख तक की कमाई टैक्स फ़्री...

वर्ष 2020 में की गई घोषणा के तहत टैक्स स्लैबों के अलावा, दोनों ही टैक्स व्यवस्थाओं में सालाना आय ₹5 लाख से कम रह जाने की स्थिति में इन्कम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के तहत टैक्सपेयरों को छूट दी गई थी, जिससे करदाता की समूची टैक्स देनदारी खत्म हो जाती थी, यानी जिनकी कमाई ₹5 लाख से कम रह जाती थी, उन्हें कोई इन्कम टैक्स नहीं देना पड़ता था. यहां भी ध्यान देने योग्य बात यह है कि आय अगर ₹5 लाख से ज़्यादा हो, तो ₹2.5 लाख से ऊपर की समूची रकम पर लागू होने वाली स्लैब के हिसाब से इन्कम टैक्स चुकाना पड़ता है, भले ही आपने पुरानी टैक्स व्यवस्था चुनी हो, या नई टैक्स व्यवस्था. लेकिन फिर वर्ष 2023 के बजट में की गई घोषणा के ज़रिये टैक्स स्लैबों के साथ-साथ धारा 87ए के तहत छूट की सीमा में भी बदलाव किया गया. अब वित्तवर्ष 2023-2024 की ITR फ़ाइल करने जा रहे टैक्सपेयरों को इसका फ़ायदा मिल सकेगा. उन्हें अब ₹5 लाख के स्थान पर ₹7 लाख तक की आय होने पर टैक्स से पूरी छूट दे दी जाएगी, लेकिन इसका फ़ायदा सिर्फ़ उन्हें मिलेगा, जो नई टैक्स व्यवस्था अपना लेंगे. पुरानी टैक्स व्यवस्था में बने रहने वालों को ₹5 लाख से ज़्यादा आय होते ही आयकर चुकाना होगा.

सो, ध्यान रखें, इन्कम टैक्स एक्ट की धारा 80सी (लाइफ़ इंश्योरेंस (जीवन बीमा), पीएफ़, पीपीएफ़, बच्चों की स्कूल फ़ीस, होम लोन में मूलधन वापसी आदि), NPS के तहत की गई बचत, मकान किराया भत्ता (HRA) की छूट और होम लोन पर चुकाए गए ब्याज पर बचत हासिल करने वाले लोगों के लिए अब भी पुरानी टैक्स व्यवस्था ही बेहतर रहेगी, लेकिन शेष सभी के लिए नई टैक्स व्यवस्था चुनना फ़ायदेमंद रहेगा.

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