
60 का वो दशक बॉलीवुड में शम्मी कपूर, राज कपूर जैसे सुपरस्टार्स का नाम था. वहीं इस दौर में देव आनंद के साथ मिलकर उन्होंने अपने चार्म को डांस और स्टाइल के जरिए पर्दे पर दिखाया. जंगली से लेकर चाइना टाउन, कश्मीर की कली और जानवर जैसी कल्ट क्लासिक ने शम्मी कपूर के स्टारडम को बनाए रखा. वहीं उन्हें बॉक्स ऑफिस चुंबक कहा जाता, जो दर्शकों को सिनेमाघरों में खींच लाते. लेकिन हर सुपरस्टार के पास ऐसा समय आता है जब बदलाव देखने को मिलता है. दर्शक दूसरी ओर आकर्षित होने लगते हैं. ऐसा ही कुछ शम्मी कपूर के साथ हुआ जब फिल्मी जगत में राजेश खन्ना को नए सुपरस्टार का टैग मिला.
बॉलीवुड के पॉपुलर विलेन आशीष विद्यार्थी ने सिद्धार्थ कनन के साथ खास बातचीत में याद किया कि शम्मी कपूर के साथ उनके साथ सालों तक काम करते रहे. दोनों की मुलाकात शारजाह में हुई थी जहां आशीष टीवी सीरीज दास्तान की शूटिंग कर रहे थे. शम्मी कपूर वहां एक दूसरे प्रोजेक्ट के लिए प्रोड्यूसर के साथ आए थे. तब उन्हें लेजेंड के साथ बात करने का मौका मिला.
आशीष विद्यार्थी ने कहा, शम्मी जी मुझे बहुत साल पहले एक चीज कही थी. दास्तान कर के एक सीरियल करता था शारजाह में और शम्मी जी उस टाइम पर छाटन करने आए थे प्रोड्यूसर के साथ. एक दिन उन्होंने मुझे ऐसे ही एक सीख दी कि कहा, बरखुरदार एक चीज याद रखना. इंडस्ट्री के लोग तुमको पिन मारेंगे. जब मेरी पतंग गिरने लगी तो लोगों ने मुझसे कहा, क्या हुआ शम्मी जी आजकल भीड़ कहां है. तो मैंने उन्हें बोला- बरखुरदार आज कल वो आशीर्वाद (राजेश खन्ना का बंगला) के बाहर है.
गौरतलब है कि 60 के दशक के "विद्रोही सितारे" के रूप में जाने जाने वाले शम्मी कपूर सिनेमा की नई लहर के आने के साथ ही धीरे-धीरे लीड रोल से दूर होते गए. 70 के दशक की शुरुआत तक, राजेश खन्ना ने सुपरस्टार के खिताब पर कब्ज़ा कर लिया था, लेकिन बाद में अमिताभ बच्चन के "एंग्री यंग मैन" पर्सनैलिटी ने उनकी जगह ले ली. दिलचस्प बात यह है कि शम्मी कपूर ने पहली बार राजेश खन्ना के साथ रमेश सिप्पी की "अंदाज़" में काम किया था. जबकि राजेश खन्ना एक कैमियो निभाते हुए दिखे थे. लेकिन इसने उनके स्टारडम को अलग लेवल पर पहुंचा दिया.
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