हिंदी फिल्मों के कुछ कलाकार ऐसे हैं, जिनकी एक्टिंग से पहले उनकी आवाज उनकी पहचान बन चुकी है. इस लिस्ट में अव्वल नाम अमिताभ बच्चन का ही आता है, जिन्होंने अपना करियर रेडियो से शुरू किया और फिर फिल्मी दुनिया पर छा गए. उनकी आवाज का आज भी कोई मुकाबला नहीं. पर उनके अलावा भी कुछ आवाजें ऐसी हैं, जिन्होंने बॉलीवुड में खास जगह बनाई है. ऐसी ही एक आवाज के मालिक हैं सुरेश ओबरॉय, जिनकी आवाज ने उन्हें, उनकी एक्टिंग से ज्यादा शोहरत दिखाई. सुरेश ओबरॉय फिल्मी दुनिया में आए तो हीरो बनने थे, लेकिन शुरुआत में विलेन के रोल भी करने पड़े. बाद में असल पहचान बनी सपोर्टिंग रोल से.
मात्र 400 रुपए लेकर आए बॉलीवुड
सुरेश ओबेरॉय का परिवार पाकिस्तान से भारत आया था. वो लंबे समय तक पंजाब में रहे फिर उनका परिवार हैदराबाद में भी रहा. लेकिन सुरेश ओबेरॉय हमेशा से एक एक्टर ही बनना चाहते थे. इसलिए सिर्फ चार सौ रुपये लेकर वो मुंबई आ गए. शुरुआत में उन्हें छोटे मोटे रोल करने पड़े. कुछ रोल विलेन के भी ऑफर हुए. लेकिन उनकी भारी भरकम आवाज के नीचे हीरो की आवाज दबने लगी. हालांकि तब तक वो अपनी एक्टिंग और अपनी आवाज से अपनी पहचान बना चुके थे. इसलिए उन्हें सपोर्टिंग रोल भी मिलने लगे. उन्होंने सुरक्षा, कर्तव्य और काला पत्थर जैसी फिल्मों में सपोर्टिंग रोल में काम किया.
इस फिल्म के लिए मिला नेशनल अवॉर्ड
सुरेश ओबेरॉय ने साल 1980 में एक बार फिर फिल्म में काम किया. इस फिल्म में वो लीड रोल में थे. फिल्म के लिए उन्हें तारीफ मिली लेकिन फेम नहीं मिल सका. उन्हें असल पहचान, नाम और पहचान मिली फिल्म मिर्च मसाला से. इस फिल्म में उनकी एक्टिंग के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड पर सपोर्टिंग रोल भी मिला. घर एक मंदिर मूवी के लिए उन्होंने फिल्म फेयर अवार्ड भी जीता. साल 2009 में उन्होंने फिल्मों में सक्रियता बहुत कम कर दी. हालांकि उनकी आवाज का दम उसके बाद भी दिखता रहा. बता दें, सुरेश ओबेरॉय के बेटे विवेक ओबेरॉय भी बॉलीवुड के जाने-माने हीरो हैं.
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