मायानगरी की माया कुछ ऐसी है कि जितनी बुलंदियों पर पहुंचाती है, वहां से उतनी ही रफ्तार से नीचे भी ले आती है. बुलंदियों पर पहुंचे कुछ सितारों का हाल तो ऐसा भी हुआ है कि उनकी चमक कब खत्म हुई, कब वो जमींदोज हुए पता ही नहीं चला. गुजरे जमाने की अदाकारा मीना शौरी (Meena Shorey) का हाल भी कुछ ऐसा ही हुआ जिन्हें किस्मत से फिल्में मिलीं, सितारा चमका, पांच पांच शादियां भी कीं. लेकिन ताउम्र तन्हा ही गुजारनी पड़ी. हालात तो ये हुए कि मौत के बाद कफन तक तब नसीब हुआ जब लोगों ने पैसे जमा किए और उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया.
ये दास्तां है मीना शौरी (Who is Meena Shorey) की, असली नाम था खुर्शीद बेगम जिनका जन्म हुआ अविभाजित भारत में. अपनी बहन की शादी के बाद खुर्शीद बेगम उनके साथ मुंबई आ गईं. यहां एक कार्यक्रम के दौरान सोहराब मोदी की नजर खुर्शीद बेगम पर पड़ी. सोहराब मोदी को खुर्शीद बेगम इस कदर भाईं कि उन्हें फिल्मों में लॉन्च भी किया और नया नाम भी दिया मीना. मीना की पहली फिल्म सिकंदर हिट हुई तो काम मिलता चला गया. कुछ साल बाद आई फिल्म एक थी लड़की ने उन्हें युवा दिलों की धड़कन बना दिया. इस फिल्म का गाना लारा लप्पा लारा लप्पा काफी हिट हुआ और मीना की पहचान बन गया.
लारा लप्पा गर्ल बनने से पहले ही मीना तीन शादियां कर चुकी थीं जिसमें से एक शादी थी डायरेक्टर जहूर राजा से दूसरी एक्टर अल नासिर से और तीसरी रूप के शौरी से. तीनों में से रूप के शौरी के साथ ही उनका रिश्ता सबसे लंबा चला और उन्हीं के नाम को मीना ने अपने नाम से जोड़ा और मीना शौरी बन गईं. हालांकि कुछ कारणों से मीना को पाकिस्तान जाना पड़ा और वहां भी उन्हें फिल्में ऑफर होने लगीं. वहां भी वो हिट हुईं तो शौरी को छोड़ कर वहीं बसना मंजूर किया और फिर इस्लाम कबूल कर लिया. इसके बाद मीना ने दो निकाह और किए. लेकिन शोहरत का सितारा धीरे-धीरे फीका पड़ने लगा. जिंदगी के आखिरी दिन मीना ने गरीबी के साथ गुजारे. जब उनका निधा हुआ तब उनके पांच पतियों में से कोई भी उनके साथ नहीं था. बताते हैं कि कफन तक लोगों ने पैसे जमा करके खरीदा और उन्हें इस दुनिया से रुखस्त किया.
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