The Accidental Prime Minister: 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' आज रिलीज हो गई है. संजय बारू की किताब पर आधारित फिल्म 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) के कार्यकाल को दिखाया गया है और मनमोहन सिंह के किरदार को अनुपम खेर ने निभाया है. संजय बारू (Sanjay Baru) का किरदार बॉलीवुड एक्टर अक्षय खन्ना (Akshaye Khanna) ने किया है. 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर (The Accidental Prime Minister)'को देखने के बाद सबसे पहली बात जो जेहन में आती है, वह यही है कि संजय बारू का दर्द सिर्फ यह नहीं है कि मनमोहन सिंह सोनिया गांधी की सुनते हैं. पूरी फिल्म में ये बात उभरकर आई है कि मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) अपने मीडिया एडवाइजर संजय बारू की नहीं सुनते.
'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर (The Accidental Prime Minister)' में पहले सीन से ही ऐसा लगता है कि संजय बारू पीएमओ में अपनी बादशाहत कायम करना चाहते थे. फिल्म में दिखाए गए संजय बारू को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि PMO में हर कोई संदेहास्पद था और मनमोहन सिंह के खिलाफ साजिश बनाने में लगा था. मनमोहन सिंह को एकदम ऐसा दिखाया गया है कि जैसे वे कांग्रेस की नहीं बल्कि विपक्षी पार्टी की सरकार चला रहे हों. जिस तरह की बातें संजय बारू करते हैं उससे तो ऐसा ही लगता है.
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'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर (The Accidental Prime Minister)' में हर जगह पीएम मनमोहन सिंह को संजय बारू सलाह देते नजर आते हैं. जब मनमोहन सिंह उनकी बात नहीं सुनते हैं तो वे झल्ला जाते हैं. आखिर में तो संजय बारू मनमोहन सिंह को कमजोर ही कह डालते हैं. पहले सीन से ही ऐसा लगने लगता है कि संजय बारू सोनिया गांधी को कतई पसंद नहीं करते हैं लेकिन मनमोहन सिंह को सोनिया गांधी ने ही पीएम बनाया है, इस बात को पूर्व पीएम भूलना नहीं चाहते हैं. यही नहीं, मनमोहन सिंह की विनम्रता का भी मजाक बनाया गया है और उन्हें नादान सिद्ध करने की कोशिश की गई है. एक बात यह भी उभरकर आती है कि सही फैसले मनमोहन और संजय के, गलत फैसले सोनिया के.
'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर (The Accidental Prime Minister)' में ऐसा लगता है कि अहमद पटेल से लेकर जयराम रमेश तक सभी मनमोहन सिंह के खिलाफ साजिश में जुटे हैं. अहमद पटेल को तो एक सीन में बॉलीवुड के किसी विलेन की तरह दिखाया गया है. कुल मिलाकर फिल्म में मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) को बेहद कमजोर दिखाने की कोशिश की गई है ऐसा कतई नहीं है. सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) कहती हैं कि आप काम करें बाकी पार्टी देख लेगी. लेकिन संजय बारू कहते हैं कि काम छोड़कर आप बाकी सबकुछ करें मैं देख लूंगा. फिल्म में संजय बारू (Sanjay Baru) का यही दर्द नजर आता है. फिल्म के आखिर में तो मनमोहन सिंह संजय बारू से मुंह ही फेर लेते हैं और फिर नहीं मिलते हैं.
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