प्रतीकात्मक फोटो
अहमदाबाद:
गुजरात के मल्टीप्लेक्सेस में आजकल कई फिल्में चल रही हैं जो कि एक नये दौर की ओर इशारा कर रही हैं। मल्टीप्लेक्सेस में जहां कुछ स्क्रीन पर 'बाजीराव मस्तानी', 'वज़ीर' जैसी फिल्में चल रही हैं तो कुछ स्क्रीन पर पिछले 50 दिनों से सफलतापूर्वक चल रही 'छेल्लो दिवस' और 'हू तू तू' जैसी गुजराती फिल्में भी अच्छी संख्या में दर्शकों को आकर्षित कर रही हैं। गुजराती फिल्म इंडस्ट्री जिसे 'ढोलीवुड' भी कहते हैं उसके लिए ये एक बहुत ही रंगीन भविष्य बता रही हैं।
2015 में गुजराती फिल्मों ने की 55 करोड़ की कमाई
पिछले दस सालों से कहें तो गुजराती फिल्म इंडस्ट्री जैसे मृतप्राय थी। मुश्किल से कुछ ही सिंगल सिनेमाघरों में उनके शो दिखते थे। दर्शक भी बहुत कम ही आते थे। एक तरह से कहें तो मनोरंजन के बाजार में उनकी चर्चा तक नहीं होती थी। लेकिन 2015 में हालात ने करवट ली है। कई अच्छी फिल्में आईं। यही नहीं, लेकिन अब गुजराती फिल्में बॉलीवुड को भी कड़ी टक्कर दे रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि 2015 में गुजराती फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर करीब 55 करोड़ से ज्यादा की कमाई की थी, जो कि 2014 में हुई 7 करोड़ रुपये की कमाई से आठ गुना है। शायद ही किसी ने इसकी उम्मीद की थी।
अब शहर को केंद्र में रखकर बनाई जा रहीं फिल्में
'ढोलीवुड' से जुड़े जानकार मानते हैं कि इस बदलाव की कई वजहें हैं। पहले गुजराती फिल्मों की कहानियों के केन्द्र में सिर्फ गांव ही हुआ करते थे, लेकिन पिछले साल आई ज्यादातर फिल्मों के केन्द्र में शहर की कहानियां थीं। 'छेल्लो दिवस', 'बे यार', 'गुज्जुभाई ध ग्रेट' जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर काफी धूम मचाई।आजकल आनेवाली गुजराती कामेडी फिल्म 'पोलंपोल' के सितारे फिल्म का प्रमोशन करते नजर आ रहे हैं जो कि पहले सिर्फ बॉलीवुड की हिन्दी फिल्मों के लिए ही होता था।
नए डायरेक्टर्स के आने से बदले हैं हालात
इस सफलता की वजह से कई गुजराती स्टार्स जो बॉलीवुड को ज्यादा तवज्जो देने लगे थे, वो भी अब ढोलीवुड में करियर के बारे में सोचने लगे हैं। कई नये डायरेक्टर आए हैं जिन्होंने गुजराती फिल्मों में नई जान फूंकी है गुजराती कलाकारों की इस सफलता के बाद अब देर-सबेर ही सही गुजरात सरकार भी जगी है। अब दोबारा से गुजराती फिल्मों को प्रमोट करने के लिए नीति बनाने पर सरकार में सोच शुरू हुई है। कहें तो गुजराती कलाकारों की मेहनत से गुजराती फिल्म इन्डस्ट्री के अच्छे दिन आ गये हैं।
2015 में गुजराती फिल्मों ने की 55 करोड़ की कमाई
पिछले दस सालों से कहें तो गुजराती फिल्म इंडस्ट्री जैसे मृतप्राय थी। मुश्किल से कुछ ही सिंगल सिनेमाघरों में उनके शो दिखते थे। दर्शक भी बहुत कम ही आते थे। एक तरह से कहें तो मनोरंजन के बाजार में उनकी चर्चा तक नहीं होती थी। लेकिन 2015 में हालात ने करवट ली है। कई अच्छी फिल्में आईं। यही नहीं, लेकिन अब गुजराती फिल्में बॉलीवुड को भी कड़ी टक्कर दे रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि 2015 में गुजराती फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर करीब 55 करोड़ से ज्यादा की कमाई की थी, जो कि 2014 में हुई 7 करोड़ रुपये की कमाई से आठ गुना है। शायद ही किसी ने इसकी उम्मीद की थी।
अब शहर को केंद्र में रखकर बनाई जा रहीं फिल्में
'ढोलीवुड' से जुड़े जानकार मानते हैं कि इस बदलाव की कई वजहें हैं। पहले गुजराती फिल्मों की कहानियों के केन्द्र में सिर्फ गांव ही हुआ करते थे, लेकिन पिछले साल आई ज्यादातर फिल्मों के केन्द्र में शहर की कहानियां थीं। 'छेल्लो दिवस', 'बे यार', 'गुज्जुभाई ध ग्रेट' जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर काफी धूम मचाई।आजकल आनेवाली गुजराती कामेडी फिल्म 'पोलंपोल' के सितारे फिल्म का प्रमोशन करते नजर आ रहे हैं जो कि पहले सिर्फ बॉलीवुड की हिन्दी फिल्मों के लिए ही होता था।
नए डायरेक्टर्स के आने से बदले हैं हालात
इस सफलता की वजह से कई गुजराती स्टार्स जो बॉलीवुड को ज्यादा तवज्जो देने लगे थे, वो भी अब ढोलीवुड में करियर के बारे में सोचने लगे हैं। कई नये डायरेक्टर आए हैं जिन्होंने गुजराती फिल्मों में नई जान फूंकी है गुजराती कलाकारों की इस सफलता के बाद अब देर-सबेर ही सही गुजरात सरकार भी जगी है। अब दोबारा से गुजराती फिल्मों को प्रमोट करने के लिए नीति बनाने पर सरकार में सोच शुरू हुई है। कहें तो गुजराती कलाकारों की मेहनत से गुजराती फिल्म इन्डस्ट्री के अच्छे दिन आ गये हैं।
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