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प्रियंका चोपड़ा की मां को आज तक है इस बात का अफसोस, मधु चोपड़ा बोलीं- क्या मैं एक बुरी मां थी?  

प्रियंका चोपड़ा की मां मधु चोपड़ा ने हाल ही में एक्ट्रेस के बचपन के बारे में बात की और बताया कि उन्हें किस चीज का अफसोस है.

प्रियंका चोपड़ा की मां को आज तक है इस बात का अफसोस, मधु चोपड़ा बोलीं- क्या मैं एक बुरी मां थी?  
प्रियंका चोपड़ा की मां मधु चोपड़ा को है इस बात का अफसोस
नई दिल्ली:

प्रियंका चोपड़ा की मां मधु चोपड़ा ने अपनी बेटी से जुड़े मामले को लेकर बात की. बोलीं  एक बात का अफसोस है और आज भी इसके बारे में सोचती हूं. दरअसल, मधु चोपड़ा “समथिंग बिगर टॉक शो” पॉडकास्ट के होस्ट रोड्रिगो कैनेलस के साथ बातचीत कर रही थीं. उन्होंने बताया कि उन्हें अपनी बेटी प्रियंका को सात साल की उम्र में बोर्डिंग स्कूल भेजने का अफसोस है. एक्ट्रेस की मां ने कहा, "मुझे नहीं पता, क्या मैं एक बुरी मां थी? मुझे अभी भी इस बात का पछतावा है. मैं आज भी अपने फैसले पर रोती हूं. यह मेरे लिए भी बहुत मुश्किल था, लेकिन हर शनिवार को मैं अपना काम छोड़कर ट्रेन पकड़ती और उससे मिलने आती थी."

उन्होंने कहा, "यह उनके (प्रियंका) लिए ठीक नहीं था, क्योंकि वह अपने बोर्डिंग स्कूल में एडजस्ट नहीं कर पा रही थीं. शनिवार को वह मेरे आने का इंतजार करती और फिर रविवार को मैं उसके साथ रहती थी. पूरे सप्ताह में टीचर मुझसे कहती थी कि आप आना बंद करो, आप नहीं आ सकतीं."

मधुर चोपड़ा ने आगे कहा कि उनका यह निर्णय गर्व और अफसोस दोनों से भरा है. हालांकि, यह एक अफसोसजनक निर्णय था, लेकिन प्रियंका ठीक निकलीं और वह अपने पैरों पर खड़ी हो गईं. मधु ने प्रियंका के मिस वर्ल्ड के अच्छे बुरे दौर को भी याद किया. पॉडकास्ट के इंस्टाग्राम हैंडल पर लिखे कैप्शन के अनुसार, "एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने और मिस वर्ल्ड बनने के बावजूद प्रियंका के गृह राज्य उत्तर प्रदेश ने उनका स्वागत वैसा नहीं किया था जैसा होना चाहिए था."

मधु ने कहा, "एक ट्रेंड था कि ये सभी ब्यूटी प्रतियोगिताएं ‘नारी समाज' के लिए होती हैं, जो महिलाओं को वस्तु बनाकर उनका अपमान करती हैं. हालांकि, उन्होंने इस दुनिया को जीता, मगर वे उत्तर प्रदेश में उसका स्वागत करने को तैयार नहीं थे." बताया कि प्रियंका की जीत का जश्न सीमित दायरे में आर्मी कैंट में किया गया था. उनका स्वागत समारोह केवल सैन्य क्लब में ही किया, जिसमें सैन्य अधिकारी ही थे, कोई सिविलियन नहीं था. देश के लिए इतना बड़ा खिताब जीतना, उस समय बड़ी बात थी. उसके बारे में बहुत कुछ लिखा जा रहा था लेकिन अपने गृह राज्य ने ही उसका उस तरीके से स्वागत नहीं किया जिसकी वो हकदार थी.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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