
एक्टर प्रतीक स्मिता पाटिल को अपना सरनेम चेंज किए हुए काफी समय हो गया है. हाल ही में उन्होंने खुलासा किया कि उनके इस फैसले पर उन्होंने वाइफ प्रिया बनर्जी से बात की थी. हाल के इंटरव्यू में प्रतीक स्मिता पाटिल ने बताया कि उनके जन्म के बाद उनके पिता राज बब्बर और स्मिता पाटिल के परिवार के बीच उनके सरनेम को लेकर विवाद हुआ था.उनके जन्म के तुरंत बाद स्मिता पाटिल की मृत्यु हो गई. वरिंदर चावला के यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू प्रतीक स्मिता पाटिल ने कहा, मैं प्रतीक के नाम से पैदा हुआ था. मेरी कस्टडी के लिए मेरी मां के परिवार और पिता के परिवार की तरफ से जंग हुई थी और मेरी मां जीती. सरनेम को लेकर आज भी जंग है. आखिरकार मेरे पासपोर्ट में प्रतीक स्मित बब्बर है.
आगे एक्टर ने कहा, "यह स्मिता भी नहीं थी, इसलिए बड़े होने पर मैं 'प्रतीक स्मित बब्बर' कहलाया.स्कूल में, सभी लोग मुझे ईसाई समझते थे क्योंकि वे आश्चर्य करते थे कि 'स्मित क्यों?', कोई भी बब्बर की परवाह नहीं करता था.सभी लोग मुझे बस स्मित कहकर बुलाते थे.
प्रतीक ने उनकी डेब्ऊ फिल्म जाने तू या जाने ना से छाप छोड़ी. फिल्म में उन्हें प्रतीक बब्बर के नाम से क्रेडिट दिया गया. हालांकि वह कई साल तक प्रतीक रहे. उन्होंने कहा, "मेरी पहली फिल्म में मेरा नाम प्रतीक बब्बर था और फिर शैतान ने मुझ पर हावी हो गया और मैं सोचने लगा 'कौन है मां? कौन है बाप?' फिर मैंने सोचना शुरू किया, 'मैं पाटिल नहीं बनना चाहता, मैं बब्बर नहीं बनना चाहता. मैं सिर्फ प्रतीक बनना चाहता हूं.' कुछ फिल्मों के लिए, मैं केवल प्रतीक था क्योंकि मैं अपने माता-पिता से कटु थ. मैं ऐसा था, मैं उनका नहीं होना चाहता. उन्होंने मुझे पूरी जिंदगी केवल दर्द दिया है. मैं उनका नहीं होना चाहता और फिर मैंने प्रतीक के साथ आगे बढ़ना जारी रखा."
प्रतीक स्मिता पाटिल नाम रखने के पीछे के कारण पर बात करते हुए एक्टर ने कहा, "मुझे उस नाम को अपनाना पड़ा, यह मुझे पूरा बनाता है. अब, मैं संपूर्ण हूं, मैं संपूर्ण महसूस करता हूं. प्रिया ने कहा 'प्रतीक, तुम उसके प्रति ऋणी हो, उन्होंने तुम्हारे लिए अपनी जान दे दी, तुम भी उनके ऋणी हो, तुम उनके बेटे हो' और यह बात मेरे लिए अलग तरह से आई. मैंने सोचा 'मुझे यही बनना है'."
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