संजय लीला भंसाली की 'पद्मावत' 25 जनवरी को रिलीज होने जा रही है. फिल्म को लेकर जबरदस्त हंगामा है और कई संगठन इसको लेकर हंगामा काटे हुए हैं. अब सवाल यह पैदा होता है कि आखिर विवाद पैदा कैसे हुआ. काफी समय पहले ऐसी अफवाह उड़ी थी कि संजय लीला भंसाली जो 'पद्मावत' बना रहे हैं उसमें अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावती का ड्रीम सिक्वेंस नजर आएगा. बस इसी बात से हंगामा हो गया. हालांकि संजय लीला भंसाली ने कई बार सफाई भी दी. लेकिन जब बात निकली तो दूर तक पहुंची. अब फिल्म का प्रेस शो हो चुका है और कल फिल्म रिलीज होने भी जा रही है. इस तरह सच सामने आ चुका है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि 'पद्मावत' का विरोध करने वालों को फिल्म देखकर जबरदस्त निराशा होगी. फिल्म में राजपूतों की वीर गाथाओं से लेकर गोरा-बादल तक की कहानी बखूबी नजर आती है. आइए 'पद्मावत' से जुड़ी वो पांच बातें जानते हैं जो संजय लीला भंसाली के विरोधियों को उनका फैन बना देंगेः
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Padmaavat Movie Review: ...और इस तरह जंग जीतकर भी पद्मावती से हार गया अलाउद्दीन खिलजी
राजपूताना गौरव
फिल्म की शुरुआत से लेकर आखिरी तक जो बात फिल्म पर हावी रहती है, वह राजपूतों का गौरव है. अपनी बात पर अटल रहना. फिल्म में कहीं भी एक बार भी राजपूताना गौरव को धूमिल नहीं किया गया है, बल्कि उसे शानदार ढंग से पेश ही किया गया है.
प्राण जाए पर वचन न जाए
राजपूतों से जुड़ी सबसे बड़ी बात यही है कि वे अपनी बात के अटल रहते हैं. यही झलक संजय लीला भंसाली की 'पद्मावत' में भी दिखती है. अलाउद्दीन खिलजी और राजा रतनसेन की मुलाकात होती है, लेकिन अलाउद्दीन खिलजी पद्मावती का जिक्र करता है तो तलवारें निकल जाती हैं लेकिन राजा रतनसेन सिर्फ इसलिए अलाउद्दीन को छोड़ देते हैं ताकि वे अपनी राजपूती परंपरा का निर्वाह कर सकें.
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खौफ क्या होता है
राजा रतनसेन जानता है कि अलाउद्दीन भरोसे के काबिल नहीं है. फिर भी वे उसकी मेहमाननवाजी को स्वीकार करते हैं. वे उसके पास जाते हैं और वे भी बिना किसी हथियार के. नतीजा घातक होता है, लेकिन राजपूत किसी भी हालात से खौफ नहीं खाते.
राजपूती वीरांगनाएं
संजय लीला भंसाली ने दिखा दिया है कि जितने राजपूत अपनी बातों के पक्के रहे हैं और उनकी पत्नियां और महिलाएं भी मौका पड़ने पर दुश्मनों के दांत खट्टे करने के काबिल हैं. राजा रतनसेन को छुड़ाने की हिम्मत अकेली पद्मावती दिखा देती है. पद्मावती प्लानिंग करती हैं, और उसे बखूबी इम्प्लिमेंट भी करती हैं. वे राजा रतनसेन को छुड़ा भी ले जाती है और अलाउद्दीन हाथ मलते रह जाता है.
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राजपूत लाचार पर हथियार नहीं उठाते
'पद्मावत' में राजा रतनसेन के पास अलाउद्दीन खिलजी को कत्ल करने के तीन मौके मिलते हैं. लेकिन वे अपनी जुबान पर कायम रहते हैं, हर बार वे अपने नियमों की वजह से उसे बख्श देते हैं. वे निहत्थे पर वार नहीं करते, वे लाचार को कत्ल नहीं करते और घर आए मेहमान को नहीं छूते. लेकिन अलाउद्दीन जंग जीतने के अलावा कुछ नहीं जानता.
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