1970 और 80 के दशक में हिंदी सिनेमा में एक अलग ही बदलाव देखने को मिला. अमिताभ बच्चन की एंग्री यंग मैन की धमाकेदार शुरुआत ने फिल्मों को और भी ग्रैंड और बड़ा बना दिया. यहां तक कि सोशल ड्रामा और पीरियड पीस भी अपने नेचर में और भी शानदार बन गई. शोले की रिलीज के तुरंत बाद फिल्म मेकर कमाल अमरोही ने उसी पैमाने पर एक पीरियड ड्रामा बनाने का फैसला किया. उनका ड्रीम प्रोजेक्ट जो कि अगली मुगल-ए-आजम थी उसे बनने में सात साल लग गए. लेकिन इसका नतीजा इतना खतरनाक था कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री कर्ज में डूब गई.
रजिया सुल्तान की त्रासदी
रजिया सुल्तान, कमाल अमरोही की भारत की एकमात्र महिला मुस्लिम शासक की बायोपिक आखिरकार 1983 में रिलीज हुई. बताया जाता है कि इसे ₹10 करोड़ के बजट में बनाया गया था जो उस समय बनी सबसे महंगी भारतीय फिल्म बन गई. हेमा मालिनी के लीड रोल वाली इस फिल्म में धर्मेंद्र, परवीन बॉबी, सोहराब मोदी और अजीत की मौजूदगी वाली यह फिल्म अपने समय की मचअवेटेड रिलीज थी. लेकिन यह बुरी तरह से फ्लॉप हो गई. दर्शकों को फिल्म में इस्तेमाल की गई उर्दू बहुत मुश्किल लगी जबकि दूसरों ने फिल्म की लंबी ड्यूरेशन की शिकायत की थी. धर्मेंद्र को गुलाम योद्धा याकूत के किरदार के लिए ब्लैकफेस का इस्तेमाल किया गया. ये भी दर्शकों को काफी अटपटा लगा था. इन सभी ने मिलकर रजिया सुल्तान को डुबो दिया. ये बॉक्स ऑफिस पर केवल ₹2 करोड़ ही कमा पाई.
रजिया सुल्तान में हेमा मालिनी और परवीन बाबी के किसिंग सीन पर हुआ था विवाद
रजिया सुल्तान में एक थीम नाममात्र की रानी के अकेलेपन के बारे में थी. फिल्म में याकूत के साथ उनके रोमांस को दिखाया गया लेकिन साथ ही उनकी साथी खाकुन (परवीन बाबी) के साथ उनकी नजदीकी के बारे में एक कंट्रोवर्शियल ट्रैक भी पेश किया गया. दो महिलाओं के प्लेटोनिक से ज्यादा रिश्ते को दिखाने के लिए कमाल अमरोही ने दोनों किरदारों के बीच एक लव सॉन्ग शामिल किया. यह गाल पर एक किस के साथ खत्म हुआ. हालांकि दर्शकों के बीच इस किस को समलैंगिक किस के तौर पर बताया गया. इसने फिल्म के लिए और भी नेगेटिव पब्लिसिटी का काम किया. पारिवारिक दर्शकों ने फिल्म देखने से मना कर दिया और मुस्लिम मौलवियों ने भी फिल्म में मुस्लिम महिलाओं को 'अनुचित' तरह से दिखाए जाने पर आपत्ति जताई.
रजिया सुल्तान का फिल्म उद्योग पर प्रभाव
रजिया सुल्तान एक फिल्म से कहीं बढ़कर थी. यह एक ऐसा प्रोजेक्ट था जिसे बनाने में कई साल लगे और इसकी लागत शोले से भी 60% ज्यादा थी. इस फिल्म में सैकड़ों टेक्नीशियन और हजारों एक्टर्स एक्स्ट्रा कलाकार के तौर पर काम कर रहे थे. अमरोही ने फिल्म इंडस्ट्री से कर्ज लिया थे और फिल्म बनाने के लिए कई क्रू मेंबर्स के पैसे भी रोक लिए थे और वादा किया था कि रिलीज के बाद उन्हें पैसे चुका दिया जाएंगे. लेकिन फिल्म ने 80% का भारी घाटा दर्ज किया जिससे रिटर्न शून्य हो गया. इसके बाद कई लोगों को कमाल अमरोही ने अपनी जेब से पैसा चुकाया. IMDb के अनुसार लगभग पूरी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री कुछ समय के लिए कर्ज में डूबी हुई थी.
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