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This Article is From Dec 27, 2017

Mirza Ghalib Urdu poet: महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब को थे ये तीन शौक जिन्हें वे आखिरी सांस तक नहीं छोड़ पाए

गूगल ने मिर्ज़ा ग़ालिब की 220वीं जयंती पर डूडल उन्हें डेडिटेक किया है. गूगल ने Mirza Ghalib's 220th Birthday टाइटल से डूडल बनाया है.

Mirza Ghalib Urdu poet: महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब को थे ये तीन शौक जिन्हें वे आखिरी सांस तक नहीं छोड़ पाए
मिर्ज़ा ग़ालिब
नई दिल्ली: गूगल पर मिर्ज़ा ग़ालिब की 220वीं जयंती पर उनके डूडल ने धमाल मचा रखा है. एक बार फिर मिर्ज़ा ग़ालिब चर्चा में आ गए हैं और यह बात सिद्ध हो गई है कि वे आज भी दिलों पर राज करते हैं. मिर्ज़ा ग़ालिब अपनी आसान और दिल में उतर जाने वाली शायरी की वजह से खास पहचान रखते हैं. मिर्ज़ा ग़ालिब का जीवन बेशक अभाव में रहा हो या फिर समृद्ध उन्होंने आजाद जीवन जिया और जीवन में कभी न तो अपने स्वाभिमान से समझौता किया, और न ही अपने शौक को लेकर. बेशक आमदनी ज्यादा नहीं थी लेकिन वे बाजार में कभी भी पालकी और हवादार के बिना नहीं निकलते थे. दो-दो नौकर उनके साथ रहते थे. टी.एन. राज ने अपनी किताब 'गालिब' में इस बारे में जानकारी दी है. उनको गोश्त, शराब और जुए का शौक था.

'ग़ालिब' छुटी शराब पर अब भी कभी कभी
पीता हूँ रोज़-ए-अब्र ओ शब-ए-माहताब में

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किताब में बताया गया है कि मिर्ज़ा ग़ालिब गोश्त के बहुत शौकीन थे. वे गोश्त के बिना रह ही नहीं सकते थे. उन्हें गोश्त खाने में काफी जायकेदार लगता था. इसके अलावा वे पीने के भी बहुत शौकीन थे. उन्होंने रात को सोते समय शराब पीने की एक नियत मात्रा तय कर रखी और वे उससे ज्यादा कभी नहीं लेते थे. बताया जाता है कि वे कॉस्टेलीन और ओल्ड टॉम जैसी अंग्रेजी शराब पीने के शौकीन थे. राज ने लिखा है, "वे उसकी गर्मी को कम करने के लिए इसमें दो हिस्से गुलाब जल डाल लिया करते थे." हालांकि उन्होंने शराब पर कई शेर लिखे हैं लेकिन वे इसे अच्छा नहीं मानते थे. 

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सबसे दिलचस्प किस्सा रहा उनके जुआ खेलने का. अगस्त, 1841 में तो वे अपने घर पर जुआ खेलने के आरोप में धर भी लिए गए और उनपर 100 रु. जुर्माना हुआ. लेकिन उनसे दुश्मनी रखने वालों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और 25 मई, 1847 को वे दोबारा पकड़े गए, और उन्हें छह महीने की सजा हुई. लेकिन उन्हें तीन महीने बाद रिहा कर दिया गया. लेकिन इस घटना ने उनपर काफी असर डाला.

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