Engineers Day 2018: एम विश्वेश्वरैया (M Visvesvaraya) को गूगल ने डूडल बनाकर किया सम्मान
नई दिल्ली:
M Visvesvaraya भारत के महान हस्तियों में एक ऐसा नाम, जिनके जन्मदिन पर भारत में इंजीनियर्स डे (Engineers Day) मनाया जाता है. एम विश्वेश्वरैया के 157वें जन्मदिन (M Visvesvaraya 157th Birthday) के मौके पर गूगल ने डूडल (Google Doodle) बनाकर उन्हें याद किया है. देश के लिए उनका अहम योगदान रहा हैं, उन्होंने कई ऐसे बांध बनाए, जिसका उदाहरण आज भी पूरी दुनिया के इंजीनियर्स के लिए मिसाल हैं. आज Engineers Day 2018 पर देश के भावी इंजीनियर्स उन्हें याद कर रहे हैं. उनका पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया है. उन्हें सर एमवी के नाम से भी जाना जाता है. भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित एम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को मैसूर के कोलार जिले स्थित चिक्काबल्लापुर तालुक में एक तेलुगु परिवार में हुआ था. उनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत के विद्वान और आयुर्वेद चिकित्सक थे. विश्वेश्वरैया की मां का नाम वेंकाचम्मा था. उनके पूर्वज आंध्र प्रदेश से यहां आकर बस गए थे.
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Engineers Day को याद करते हुए बताते चले कि एम विश्वेश्वरैया ने अपनी शुरूआती पढ़ाई अपने जन्मस्थान से ही पूरी की. 12 साल की उम्र में ही उनके पिता की मृत्यु हो गई. आगे की पढ़ाई करने के लिए विश्वेश्वरैया ने बेंगलुरू के सेंट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया. विश्वेश्वरैया ने सन् 1881 में बीए की परीक्षा में टॉप किया. मेधावी छात्र होने की वजह से उन्हें सरकार के द्वारा आगे पढ़ाई करने का मौका मिला और मैसूर सरकार की मदद से इंजीनियरिंग (Engineering) की पढ़ाई के लिए पूना के साइंस कॉलेज में एडमिशन लिया. 1883 की एलसीई और एफसीई (आज के समय की BE) की परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त करके अपनी योग्यता का परिचय दिया. इसी उपलब्धि के चलते महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें नासिक में सहायक इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया.
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देखें डॉक्यूमेंट्री-
Engineers Day के मौके पर यह जानना जरूरी है कि एम विश्वेश्वरैया (M Visvesvaraya) हैदराबाद शहर के बाढ़ सुरक्षा प्रणाली के मुख्य डिजाइनर और मैसूर के कृष्णसागर बांध के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाने वाले शख्स थे. मात्र 32 साल की उम्र में सिंध महापालिका के लिए कार्य करते हुए उन्होंने सिंधु नदी को सुक्कुर कस्बे की जलापूर्ति के लिए जो योजना बनाई, उससे सभी इंजीनियरों और वहां के सरकार ने बहुत पसंद किया. अंग्रेज सरकार ने सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए उपायों को ढूंढने के लिए एक समिति बनाई. उनको इस समिति का सदस्य बनाया गया.
उन्होंने नई ब्लॉक प्रणाली का आविष्कार किया, जिसके अंतर्गत स्टील के दरवाजे बनाए जो बांध के पानी के बहाव को रोकने में मदद करती थी. उनकी इस प्रणाली की काफी तारीफ हुई और आज भी यह प्रणाली पूरे दुनिया में प्रयोग में लाई जा रही है. जिसके बाद उन्हें 1909 में मैसूर राज्य का मुख्य अभियन्ता (चीफ इंजीनियर) नियुक्त किया गया. विश्वेश्वरैया ने वहां की आधारभूत समस्याओं जैसे अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी को लेकर कुछ मूलभूत काम किये.
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उनके कार्य को देखते हुए एम विश्वेश्वरैया को वहां के राजा ने उन्हें राज्य का दीवान यानी मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया. सन् 1912 से लेकर 1918 तक उन्होंने अपने राज्य के लिए बहुत सामाजिक और आर्थिक कार्यों में योगदान दिया. राष्ट्र में उनके अमूल्य योगदान को देखते हुए सन् 1955 में एम विश्वेश्वरैया को भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. 101 वर्ष की उम्र में 14 अप्रैल 1862 को उनका निधन हो गया. उनपर कई फिल्में और डॉक्यूमेंट्री भी बनाई जा चुकी हैं, जो यूट्यूब पर उपलब्ध हैं.
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