दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी यह एक प्यारा आइडिया है, इसमें कोई शक नहीं. सिद्धांत राज सिंह के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म की कहानी विधुर दुर्लभ प्रसाद (संजय मिश्रा) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मुरली (व्योम) के पिता हैं. मुरली की गर्लफ्रेंड का परिवार उनकी शादी का विरोध करता है क्योंकि दुर्लभ के घर में कोई महिला नहीं है. इससे मुरली अपने पिता के लिए एक नई पत्नी और खुद के लिए एक मां ढूंढने लगता है. एंट्री होती है बबीता सिंह (महिमा चौधरी) की.
फिल्म आगे बढ़ती रहती है और आपको अजीब वन-लाइनर्स पर ही हंसी आती है. सबसे मज़ेदार पल तब आता है जब दुर्लभ, बबीता की मौजूदगी को दूसरे किरदार को समझाने की कोशिश करते हुए इसे इस तरह से बताता है, "समझ ले महिमा चौधरी है." फिल्म का गीत एक सुखद आश्चर्य के रूप में आता है. संगीतकार अनुराग सैकिया, जिन्होंने वायरल इंस्टा हिट इश्क है भी कंपोज किया है.
परफॉर्मेंस के मामले में संजय मिश्रा निसंदेह अच्छे एक्टर हैं. फिल्म में वह आपको निराश नहीं करेंगे. वहीं महिमा चौधरी को एक ऐसा रोल दिया गया है जो उनकी हालिया फिल्म द सिग्नेचर में निभाए गए स्वतंत्र, संयमित अंदाज़ की याद दिलाता है. व्योम अपने किरदार को प्यारा बनाने के लिए पूरी ईमानदारी से कोशिश करते हैं. कुल मिलाकर दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी अच्छे इरादों से बनी एक पारिवारिक फिल्म है.
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