साल 1964 में एक अनोखी दोस्ती पर बनी फिल्म रिलीज होती है, नाम भी दोस्ती ही है. फिल्म दो ऐसे दोस्तों पर बेस्ड है जो देख नहीं सकते. लेकिन एक दूसरे के लिए जान तक देने को तैयार हैं. और, हर कदम पर यही दिलासा देते हैं कि पग पग दीप जलाए मेरी दोस्ती मेरा प्यार. इन दोनों एक्टर्स की दोस्ती की ये जज्बाती कहानी इस कदर मशहूर होती है कि बरसों बरस तक उसकी मिसाल दी जाती है. पर, अफसोस पर्दे पर उस दोस्ती के जादू को जिंदा करने वाले एक्टर्स को वो शौहरत नहीं मिलती जिसकी उन्हें दरकार थी. ये दोस्त थे सुशील कुमार और सुधीर कुमार सावंत. इस फिल्म के बाद सुधीर कुमार सावंत अचानक पर्दे से गायब ही हो गए. आज भी लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिर सुपर डुपर फिल्म के बाद सुधीर कुमार सावंत का हुआ क्या.
300 रु की पगार पर किया काम
मराठी परिवार से आए सुधीर कुमार सावंत ने दोस्ती फिल्म के अलावा संत ज्ञानेश्वर, जीने की राह और घर ची रानी फिल्मों में काम किया. राजश्री बैनर के ताराचंद बड़जात्या ने उनके साथ तीन साल का कॉन्ट्रेक्ट किया था. जिसके तहत वो तीन सौ पर मंथ सैलेरी पर काम कर रहे थे. लेकिन दोस्ती के बाद ऑफर हुई फिल्म लाडला की खातिर उन्होंने राजश्री बैनर्स का कॉन्ट्रेक्ट बीच में ही कैंसिल कर दिया. हालांकि उन्होंने कॉन्ट्रेक्ट रद्द करने की शर्त के तहत राशि भी चुकाई. लेकिन उसके बाद राजश्री ने फिर उनके साथ कभी काम नहीं किया. लेकिन इसके बाद सुधीर कुमार सावंत का करियर कभी ऊंचाई पर नहीं पहुंच सका. लाडला के बाद उन्हें किसी फिल्म में काम नहीं मिला और वो फिल्म इंड्स्ट्री से गायब ही हो गए.
मर्डर की खबर
सुधीर कुमार सावंत से जुड़ा एक दिलचस्प फेक्ट ये भी है कि उनकी मौत की खबरें अक्सर उड़ी. आईएमडीबी ट्रिविया के मुताबिक 1960 में उनका मर्डर होने की खबर आई लेकिन वो गलत साबित हुई. इसके बाद एक बार उनका एक्सीडेंट होने की खबर भी उड़ी और कुछ साल पहले ये खबर भी उड़ी कि चिकन की हड्डी गले में फंसने से उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई. लेकिन इलाज के लिए समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सके और उनकी मौत हो गई. हालांकि ये सारी बातें अफवाह ही साबित हुई. असल में साल 1993 में कैंसर के चलते उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा.
साल 1964 में एक अनोखी दोस्ती पर बनी फिल्म रिलीज होती है, नाम भी दोस्ती ही है. फिल्म दो ऐसे दोस्तों पर बेस्ड है जो देख नहीं सकते. लेकिन एक दूसरे के लिए जान तक देने को तैयार हैं. और, हर कदम पर यही दिलासा देते हैं कि पग पग दीप जलाए मेरी दोस्ती मेरा प्यार. इन दोनों एक्टर्स की दोस्ती की ये जज्बाती कहानी इस कदर मशहूर होती है कि बरसों बरस तक उसकी मिसाल दी जाती है. पर, अफसोस पर्दे पर उस दोस्ती के जादू को जिंदा करने वाले एक्टर्स को वो शौहरत नहीं मिलती जिसकी उन्हें दरकार थी. ये दोस्त थे सुशील कुमार और सुधीर कुमार सावंत. इस फिल्म के बाद सुधीर कुमार सावंत अचानक पर्दे से गायब ही हो गए. आज भी लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिर सुपर डुपर फिल्म के बाद सुधीर कुमार सावंत का हुआ क्या.
300 रु की पगार पर किया काम
मराठी परिवार से आए सुधीर कुमार सावंत ने दोस्ती फिल्म के अलावा संत ज्ञानेश्वर, जीने की राह और घर ची रानी फिल्मों में काम किया. राजश्री बैनर के ताराचंद बड़जात्या ने उनके साथ तीन साल का कॉन्ट्रेक्ट किया था. जिसके तहत वो तीन सौ पर मंथ सैलेरी पर काम कर रहे थे. लेकिन दोस्ती के बाद ऑफर हुई फिल्म लाडला की खातिर उन्होंने राजश्री बैनर्स का कॉन्ट्रेक्ट बीच में ही कैंसिल कर दिया. हालांकि उन्होंने कॉन्ट्रेक्ट रद्द करने की शर्त के तहत राशि भी चुकाई. लेकिन उसके बाद राजश्री ने फिर उनके साथ कभी काम नहीं किया. लेकिन इसके बाद सुधीर कुमार सावंत का करियर कभी ऊंचाई पर नहीं पहुंच सका. लाडला के बाद उन्हें किसी फिल्म में काम नहीं मिला और वो फिल्म इंड्स्ट्री से गायब ही हो गए.
मर्डर की खबर
सुधीर कुमार सावंत से जुड़ा एक दिलचस्प फेक्ट ये भी है कि उनकी मौत की खबरें अक्सर उड़ी. आईएमडीबी ट्रिविया के मुताबिक 1960 में उनका मर्डर होने की खबर आई लेकिन वो गलत साबित हुई. इसके बाद एक बार उनका एक्सीडेंट होने की खबर भी उड़ी और कुछ साल पहले ये खबर भी उड़ी कि चिकन की हड्डी गले में फंसने से उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई. लेकिन इलाज के लिए समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सके और उनकी मौत हो गई. हालांकि ये सारी बातें अफवाह ही साबित हुई. असल में साल 1993 में कैंसर के चलते उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा.
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