
अनिल कपूर, जो अपने ऊर्जावान अंदाज और हर किरदार में जान डाल देने के लिए जाने जाते हैं, हाल ही में डॉक्यूफ्रेम्स में दिए गए एक खास इंटरव्यू के दौरान अपने डर और असुरक्षाओं पर खुलकर बोले. जब उनसे पूछा गया कि अपने लंबे करियर में वह कब और क्यों डरे, तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, "मैं उस वक्त भी डरा हुआ था, जब मुझे ‘मशाल' ऑफर हुई थी, क्योंकि उस वक्त यश चोपड़ा और जावेद साहब मुझे स्क्रिप्ट सुना रहे थे, जहां मुझे यूसुफ साहब यानी महान दिलीप कुमार के साथ सीन करने थे. मैं बिल्कुल घबरा गया था. स्क्रिप्ट सुनते-सुनते ही जैसे कुछ किलो वजन कम हो गया. मैंने जावेद साहब से कहा- 'क्या मैं ये कर पाऊंगा?' उन्होंने कहा- 'बिलकुल कर पाओगे'.
उन्होंने आगे कहा, "फिर जब 'मिशन इम्पॉसिबल' जैसी इंटरनेशनल यूनिट के सामने काम करना पड़ा या '24' करते वक्त इंटरनेशनल फिल्ममेकर्स के साथ काम किया, तब भी डर लगा. क्योंकि अंग्रेजी मेरी बोलने या काम करने की भाषा नहीं है. मैंने हमेशा हिंदी फिल्मों में परफॉर्म किया है, एक तेलुगु और एक कन्नड़ फ़िल्म भी की है, क्योंकि मुझे वही काम करना पसंद है जो मैंने पहले कभी नहीं किया- जो मुझे डराए, असुरक्षित महसूस कराए. ऐसे ही डर और असुरक्षाएं मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं. और मैं हमेशा ऐसी कहानियों और फिल्ममेकर्स की तलाश में रहता हूं, जो मुझे फिर से वैसा ही चुनौतीपूर्ण अनुभव दें".
चार दशक लंबे करियर में अनिल कपूर ने हर तरह के किरदार निभाए हैं और आज भी सिनेमा जगत में मजबूती से अपनी पकड़ बनाए हुए हैं. फिल्में हों या ओटीटी- अनिल कपूर हमेशा प्रयोग के लिए तैयार रहते हैं. उन्होंने खुद को न केवल शारीरिक रूप से समकालीन बनाए रखा है, बल्कि मानसिक तौर पर भी आज के कलाकारों को चुनौती दे रहे हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं