Akshay Kumar: अक्षय कुमार ने एक फिल्म में कहा था कि सितारों के टूटने से आसमान को कोई फर्क नहीं पड़ता...लेकिन फैन्स को फर्क पड़ता है. ये फर्क उस समय भी पड़ता है जब उनके चहेते स्टार की फिल्म औसत होने की वजह से बॉक्स ऑफिस पर पस्त हो जाती है. फर्क उस समय भी पड़ता है जब वो बड़ी उम्मीद से सिनेमाघर जाता है और निराश होकर लौटता है. फर्क उस समय भी पड़ता है जब स्टार की फिल्मोग्राफी में फ्लॉप का नंबर बढ़ जाता है. यह बात इन दिनों अक्षय कुमार पर एकदम सटीक बैठती है. अक्षय पिछले 31 महीनों में 10 फिल्में दे चुके हैं जिनमें से 9 बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रहीं. 2024 में तो वो बड़े मियां छोटे मियां, सरफिरा और खेल खेल में के साथ फ्लॉप की हैटट्रिक ही लगा चुके हैं. 2022 में अक्षय कुमार ने बच्चन पांडे, सम्राट पृथ्वीराज, रक्षा बंधन और राम सेतु जैसी फ्लॉप फिल्में दी हैं. 2023 में सेल्फी, ओमएमजी 2 और मिशन रानीगंज रिलीज हुई थीं. जिसमें ओएमजी ही चल सकी. आइए उन 5 बातों पर नजर डालते हैं जिनके बारे में अक्षय कुमार को थोड़ा सोचना चाहिए.
1. रीमेक से कर लें तौबा
भूल भुलैया, राउडी राठौर और हॉलिडे. क्या फिल्में थीं. तीनों ही रीमेक थीं. पैसे भी खूब कमाए और अक्षय को फेम भी दिया. लेकिन बच्चन पांडे, सेल्फी, सरफिरा और खेल खेल में भी रीमेक थीं. लेकिन तीनों का हश्र बुरा हुआ. वजह, दौर बदला. कोरोना से पहले और बाद की दुनिया कंटेंट के मामले में बदली है. ओटीटी और इंटरनेट पर सब मौजूद है. ऐसे में अक्षय कुमार को रीमेक से कन्नी काटने की कोशिश करनी चाहिए.
2. बायोपिक तो छूनी ही नहीं है
अब जब भी कोई खिलाड़ी मेडल जीतता है तो सोशल मीडिया पर मीम वायरल होने लगते हैं कि इसकी बायोपिक में अक्षय कुमार नजर आएंगे. फिर अक्षय कुमार एक साल में 4-5 फिल्में करते हैं. ऐसे में बायोपिक के लिए जो समय और मेहनत चाहिए वो वे कर नहीं पाते. तभी तो सम्राट पृथ्वीराज और मिशन रानीगंज के बाद सरफिरा भी फ्लॉप हो गई.
3. एक्टर बनें, मशीन नहीं
अक्षय कुमार एक साल में चार-पांच फिल्में करते हैं. उनकी फिल्मों और एक्टिंग को देखकर यही अनुमान लगाया जा सकता है कि वह फिल्म के कंटेंट और किरदारों पर उस तरह ध्यान नहीं दे पाते, जैसी जरूरत होती है. इसलिए उन्हें खुद पर कंट्रोल करते हुए, एक्टर बनने की कोशिश करनी चहिए मशीन नहीं.
4. एक्सपेरिमेंट करें, दोहराव नहीं
अक्षय कुमार की फिल्मों में वही रिपीटीशन दिखता है. वही पुरानी एक्टिंग दिखती है. एक्सप्रेशन भी एक ही तरह के पकड़े हुए हैं. उन्हें एक्सपेरिमेंट पर ध्यान देना चाहिए, ऐसा कुछ जो उन्होंने ओएमजी 2 में किया था.
5. फैन्स के इमोशंस ना करें नजरअंदाज
अक्षय कुमार को उनके फैन्स खिलाड़ी कुमार भी कहते हैं. ऐसे में उनके इमोशंस तो सर्वोपरि हैं. फैन्स की उनसे क्वालटी चाहिए क्वांटीटी नहीं.
आखिर में अक्षय कुमार से हम यही कहना चाहेंगे कि क्यों थक रहे हो...यह उन्हीं की फिल्म का डायलॉग है और उनको थोड़ा थमकर सोचना जरूर चाहिए...
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