एक्सप्रेस वे पर बढ़ रहे हैं हादसे और मरने वालों की संख्या

विज्ञापन
Rajesh Kumar Arya

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार तड़के एक बड़ा सड़क हादसा हुआ. बिहार से दिल्ली जा रही एक बस में आग लग गई. आग की चपेट में आकर दो बच्‍चों समेत पांच यात्रियों की जलकर मौत हो गई. उत्तर प्रदेश में इस तरह के सड़क हादसे कोई नई बात नहीं हैं, खासकर एक्सप्रेस वे का जाल खड़ा होने के बाद.उत्तर प्रदेश के  एक्सप्रेस वे पर इस तरह के सड़क हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है.सरकार इन हादसों को रोकने की कोशिश करने का दावा तो करती है, लेकिन उसे सफलता मिलती नहीं दिख रही है.  

प्राइवेट बसों की माया

उत्तर प्रदेश में नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे, यमुना एक्सप्रेस वे, आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे और पूर्वांचल एक्सप्रेस वे बन जाने की वजह से दिल्ली से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में जाना अब और आसान हो गया है.ट्रेनों में टिकटों और आरक्षण की मारामारी की वजह से सैकड़ों की संख्या में निजी बसें रोजाना एनसीआर के दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव और फरीदाबाद जैसे शहरों से  बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों के लिए निकलती हैं. इनमें डग्गामार बसें भी शामिल होती हैं. इन बसों में जितनी सवारियां होती हैं और उससे अधिक सामान भी लदा होता है. ये बसें यात्रियों के साथ-साथ सामान ढोने का काम भी करती हैं. नोएडा के महामाया फ्लाइओवर के नीचे खड़े होकर आप इन बसों का आना-जाना आप देख सकते हैं. 

उत्तर प्रदेश के एक्सप्रेस वे चलने वाली अधिकांश बसें नियमों की अनदेखी कर चल रही हैं. इसका नजारा मुझे समय नजर आया था, जब मुझे एक बार वाराणसी से नोएडा तक की यात्रा करनी पड़ी थी. जब मैं बस में सवार हुआ तो पता चला कि बस में आगे का शीशा ही नहीं था. मुझे नोएडा पहुंचने की जल्दी थी, इसलिए मैं बस में सवार हो गया. लेकिन बहुत से यात्रियों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था. वह बस उसी हालत में नोएडा तक आई थी, लेकिन उस पर किसी पुलिसकर्मी का ध्यान नहीं गया. 

Advertisement

एक्सप्रेस वे पर होने वाले हादसों का प्रमुख कारण तेज रफ्तार है. सरकार ने हर एक्सप्रेस वे पर हर तरह की गाड़ियों के लिए गति सीमा निर्धारित कर रखी है, लेकिन उसकी तरफ शायद ही किसी का ध्यान जाता हो. उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने इस साल मार्च में एक्सप्रेसवे पर गाड़ी चलाने की गति सीमा को बढ़ा दिया था.इसके तहत कारें अब 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से फर्राटा भरती हैं. वहीं नौ या उससे अधिक सीटों वाले वाहन अब 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ते हैं. बस और ट्रक जैसे वाहन के लिए इतनी रफ्तार बहुत अधिक है. समय से पहुंचने के चक्कर में बस वाले अपनी रफ्तार निर्धारित रफ्तार से अधिक रखते हैं. यह भी हादसों का कारण बन जाता है. 

Advertisement

उत्तर प्रदेश में सड़क हादसे

उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस साल उत्तर प्रदेश के परिवहन विभाग की ओर से रोड सेफ्टी पर सुप्रीम कोर्ट की एक कमेटी की बैठक में पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में सड़क हादसों में 24 हजार लोगों की जान गई थी.इनमें से 36 फीसदी हादसे अकेले नेशनल हाइवे पर हुए थे.वहीं स्टेट हाइवे पर कुल मौतों की 28 फीसदी मौतें हुई थीं.सड़क हादसों में होने वाली कुल मौतों में से 64 फीसदी केवल नेशनल और स्टेट हाइवे पर हुए हादसों में हुईं.

Advertisement

कुल हादसों में से करीब आधे हादसे वाहनों की तेज रफ्तार की वजह से हुए. इसके बाद गलत दिशा में ड्राइविंग और ड्राइविंग के समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल हादसों के बड़े कारण थे.शहरी इलाकों में शराब पीकर गाड़ी चलाना भी हादसों का एक बड़ा कारण है. इन हादसों में सबसे अधिक 31 फीसदी मौतें दो पहिया पर सवार लोगों की हुईं. 

Advertisement

वहीं 2024 में हुए 46 हजार 52 सड़क हादसों में 24 हजार 118 लोगों की मौत हुई थी. इन हादसों में सबसे अधिक मौतें हरदोई, आगरा और मुथरा जिलों में हुईं. इन तीनों जिलों से होकर एक्सप्रेस वे गुजरते हैं. इनके अलावा रोड एक्सिडेंट वाले टॉप-10 जिलों में कानपुर शहर, गोरखपुर, बुलंदशहर, सीतापुर, अलीगढ़, उन्नाव और बरेली शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग के रोड एक्सिडेंट डैशबोर्ड पर 15 मई तक एक लाख 47 हजार 520 सड़क हादसे दर्ज किए गए थे. इनमें 87 हजार 138 लोगों की मौत हो हुई. इनमें से 2829 लोगों की मौतें एक्सप्रेस वे पर हुए हादसों में हुई थी. ये मौतें सड़क हादसों में होने वाली कुल मौतों का 3.7 फीसदी थे.  ये आंकड़े साल 2022 से दर्ज किए जा रहे हैं. 

अस्वीकरण: इस लेख में दिए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इनसे एनडीटीवी का सहमत या असहमत होना जरूरी नहीं है.

ये भी पढ़ें: बिहार में सड़क पर मक्का सुखा रहे किसान, गाड़ीवालों की जानें क्यों सूख रही जान

Topics mentioned in this article