बाबा का ब्लॉग : शीतकालीन सत्र पर छाई हेराल्ड विवाद की धुंध, खटाई में जीएसटी

बाबा का ब्लॉग : शीतकालीन सत्र पर छाई हेराल्ड विवाद की धुंध, खटाई में जीएसटी

नई दिल्ली:

हेराल्ड विवाद पर जिस ढंग से सोनिया गांधी ने कहा, मैं इंदिरा की बहू हूं, किसी से नहीं डरती... फिर राहुल गांधी का यह कहना कि सरकार बदले की भावना से कारवाई कर रही है और मेरा मुंह बंद कराना चाहती है, मगर मैं चुप नहीं रहूंगा... अपने आप में काफी कुछ कह जाता है।

इन दो बयानों के बाद संसद के अंदर जिस तरह के तेवर कांग्रेस के सांसदों ने अपनाया, उससे यह साफ हो गया कि सरकार और विपक्ष के बीच की जो दूरी प्रधानमंत्री पाटना चाहते हैं, वह संभव नहीं। इस विवाद की धुंध पूरे शीतकालीन सत्र में छाये रहने की आशंका है और जीएसटी बिल भी इसकी भेंट चढ़ सकती है।

बीजेपी कांग्रेस पर यह आरोप लगा रही है कि कोई भी राजनीतिक दल कारोबार कैसे कर सकती है। इस पर कपिल सिब्बल ने जबाब दिया कि बीजेपी भी केनस्टार म्युचुअल फंड में पैसा लगा चुकी है और डिविडेंड भी हासिल किया है। बीजेपी ने भी एक अखबार चलाया हुआ है और इनकमटैक्स के रिर्टन में घाटा भी दिखाया था।

खुद सुब्रमण्यम स्वामी ने चुनाव आयोग से पूछा था कि किसी भी राजनीतिक दल के पैसे खर्च करने का क्या नियम है.. इसके जबाब में चुनाव आयोग ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के पास पैसा कैसे आता है, उसका तो नियम है मगर कोई भी दल कैसे खर्च करता है इसका कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में किसी दल द्वारा लोन देना, लोन माफ करना कोई अपराध नहीं है...

यंग इंडियन ने कंपनी एक्ट के जरिये एसोसिएट जर्नल्स का अधिग्रहण किया था। दो तिहाई बहुमत से शेयर होल्डरों ने प्रस्ताव पास किया और यह सब एक्ट्रा ऑडिनरी जेनरल मींटिंग में हुआ। कांग्रेस का कहना है कि यंग इंडियन सेक्शन 25 कंपनी है, यानि यह चैरिटी के लिए है और प्रॉफिट या कोई डिविडेंट नहीं ले सकती। ऐसे में सोनिया या राहुल पर फायदा उठाने का आरोप नहीं लग सकता।

खैर सरकार और कांग्रेस की इस लड़ाई में नुकसान में संसद का शीतकालीन सत्र ही रहेगा। 19 दिसंबर तक कांग्रेस इस मुद्दे को किसी न किसी तरह जिंदा रखेगी, क्योंकि कांग्रेस ने यह तय कर लिया है कि राहुल और सोनिया अदालत में पेश होंगें और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाऐंगे। सूत्रों की मानें तो दोनों किसी भी सजा के लिए तैयार हैं, यानि हेराल्ड की लड़ाई लंबी चलने वाली है। वैसे भी कांग्रेस नहीं चाहती कि इस शीतकालीन सत्र में जीएसटी पारित हो। यदि शीतकालीन सत्र में जीएसटी पास नहीं होता है, तो यह 2016 के अप्रैल से लागू भी नहीं हो पाएगा।

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