नीतीश सबके फेवरेट कैसे बने? तेजस्वी भी नहीं निकाल पाए इन फैसलों का तोड़

Bihar Chunav Result: बिहार में NDA को ऐतिहासिक जनादेश मिला है. सवाल यह है कि यहं के लोगों ने नीतीश कुमार पर फिर से फरोसा क्यों जताया. आखिर ऐसा क्या खास है, जिसकी वजह से नीतीश लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं. जानें हर एक बात.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
बिहार में नीतीश कुमार का जादू.
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • बिहार में नीतीश की लोकप्रियता विधानसभा चुनाव के परिणामों से फिर साबित हो गई है.
  • नीतीश कुमार ने महिलाओं और अति पिछड़ा वर्ग के लिए पंचायत और नगर परिषद में आरक्षण देकर क्रांति की शुरुआत की.
  • शराबबंदी जैसे फैसलों से घरेलू महिलाओं को राहत मिली और इससे आम जनता कोपर सकारात्मक प्रभाव पड़ा.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
पटना:

बिहार की जनता नीतीश कुमार को कितना पसंद करती है, ये विधानसभा चुनाव के परिणामों ने बता दिया है. सरकारें तो कई आई और गईं लेकिन नीतीश अब भी लोगों की पसंद क्यों बने हुए हैं. इस सवाल का जवाब भी हम आपको देते हैं.याद कीज़िये आज से 15 वर्ष पूर्व पहले का समय. जब बिहार की बहन-बेटियां स्कूल ड्रेस पहन अपनी साइकिल पर सवार होकर स्कूल जाती थीं. इस बार उन्होंने सूद समेत नीतीश चाचा को ईवीएम के सहारे थैंक्स कहा है.

ये भी पढ़ें- राघोपुर रिजल्ट LIVE: कांटे के मुकाबले में फंसे तेजस्वी यादव, कभी पीछे, कभी आगे

नीतीश की मुरीद क्यों हैं महिलाएं?

अगर आप नीतीश कुमार की पिछले 20 वर्षों की राजनीति देखिए तो वह ‘न्याय के साथ विकास' पर केंद्रित रही. आखिरकार न्याय की शुरुआत कहां से होती है ? न्याय की शुरुआत अपने ही आंगन से होती है.नीतीश कुमार ने कुछ नहीं किया, लड़किओं को आंगन से बाहर की दुनिया का रास्ता दिखाया. वे यहीं नहीं रुके बल्कि अपने ‘ न्याय के साथ विकास ‘ के रथ को अति पिछड़ा समाज में ले गए. तमाम क़ानूनी अड़चन के बाद भी पंचायत और नगर परिषद के सीटों में महिलाओं और अति पिछड़ा समाज के लिए आरक्षण दिया. यह एक क्रांति थी. 

इनका 'न्याय के साथ विकास' का रथ कुछ कदम आगे बढ़ा तो जीविका दीदी की इतनी बड़ी फौज इन्होंने तैयार कर दी जो धर्म और जाति के बंधन को तोड़ नीतीश कुमार ने आशा का प्रतीक बनाई. वक्त आया तो उन्होंने ईवीएम के माध्यम से उनको थैंक्स कहा. 

'नीतीश कुमार सबके हैं'

लेकिन कुछ एक मौकों को नीतीश ने इन्होंने अपने लव-कुश की जोड़ी को हमेशा साथ रखा. इसमें दरार भी आई लेकिन उसे दूर कर लिया गया.  उस दरार को इस बार बड़ी ख़ूबसूरती से टिकट बंटवारे में समुचित जगह देते हुए दूर किया गया. स्वयं की जाति और स्वयं का ज़िला तो पिछले 31 सालों से उनके पीछे खड़ा था.अपनी धरनिरपेक्ष छवि के कारण मुस्लिम समाज में भी इन्होंने अपने लिए कोई कड़वाहट नहीं पैदा की. राजनीति में अपने इर्द-गिर्द सवर्ण समाज को रखते हैं, जिसका संदेश भी जाता है:'नीतीश कुमार सबके हैं'. 

नीतीश कुमार महिलाओं की पहली पसंद

राजनीतिक विश्लेषक और कई विपक्षी दल यह भूल जाते हैं कि महिला समाज का हक 50 % है . चुनावी प्रक्रिया में सुधार होते रहने के बाद, बिहार में महिला और अति पिछड़ा वर्ग, दोनों को अपने मन से वोट देने का बल मिलता गया. उनके रास्ते पर नीतीश कुमार हर कदम पर मुस्कुराते मिले. 

नीतीश के इन फैसलों का काट तेजस्वी के पास भी नहीं

शराबबंदी एक ऐतिहासिक फैसला था, जिससे घरेलू महिलाओं को बहुत राहत मिली. हालांकि यह फैसला कई बार समाज के कटघरे में आया लेकिन आमजन इससे खुश मिले और खासकर महिलाएं. ऐसे कई फैक्टर रहे जो इस बार नीतीश कुमार के तरफ़ मुड़े. क्योंकि तेजस्वी किसी भी ऐसे ज़मीनी मुद्दों को घेर पाने या उसका काट निकालने में असफल रहे. जो कुछ कसर बाक़ी रही, वह चुनाव पूर्व महिलाओं के खाते में दस हज़ार ने पूरी कर दी.  

Advertisement

मेरी नज़र में इस बार बीजेपी ने भी नीतीश के ड्राइविंग मूड का ज़्यादा फ़ायदा उठाया, क्योंकि जमीनी स्तर पर नीतीश के लोग उनके साथ खड़े थे. अधिकांश को मोदी फैक्टर से भी दिक्कत नहीं थी. फिर क्या था बस बन गया नज़ारा, अबकी बार 200 पार. 
 

Featured Video Of The Day
Syed Suhail | Bangladesh Violence: Yunus ने लगाई आग, Yogi ने दी वार्निंग! Bharat Ki Baat Batata Hoon