- ग्लोबल इंवेस्टर और लेखक रुचिर शर्मा ने कहा कि भारत में हम कल्याणकारी योजनाओं पर बहुत खर्च कर रहे हैं.
- उन्होंने कहा कि विकास के इस चरण में चीन कल्याणकारी योजनाओं पर नहीं बल्कि बुनियादी ढांचे पर खर्च कर रहा था.
- उन्होंने कहा कि भारत में कल्याणकारी योजनाओं पर निवेश बढ़ा है, जो विकास के लिए वेलफेयर ट्रैप साबित हो सकता है.
भारत की अर्थव्यवस्था बहुत ही तेजी से बढ़ रही है, लेकिन चीन का मुकाबला करने के लिए अभी भी कई मोर्चों पर बहुत कुछ करना बाकी है. ग्लोबल इंवेस्टर और लेखक रुचिर शर्मा ने एनडीटीवी के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल के साथ बातचीत के दौरान भारत में चीन जैसी तेज तरक्की की राह में बाधाओं पर भी बात की. रुचिर शर्मा ने कहा कि भारत में हम कल्याणकारी योजनाओं में बहुत ज्यादा निवेश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चीन जब विकास के इस चरण में था तो वह कल्याणकारी योजनाओं पर नहीं बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश कर रहा था.
बिहार चुनाव का पहला चरण संपन्न हो चुका है और दूसरे चरण में मतदान में अब कुछ ही वक्त बचा है. ऐसे में एनडीटीवी के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल बिहार के तेजी से विकास और निवेशकों की अगली सरकार से अपेक्षाओं को लेकर रुचिर शर्मा से बातचीत की. इस दौरान रुचिर शर्मा ने कहा कि बिहार को लेकर मेरी सबसे बड़ी चिंता यह है कि राज्य कल्याणकारी योजनाओं के जाल में फंसता जा रहा है. इस चुनाव में भी कल्याणकारी योजनाओं को लेकर सकल घरेलू उत्पाद का करीब 3% घोषित किया गया है. जब चीन विकास के इसी चरण में था, उस वक्त वह सारा निवेश बुनियादी ढांचे पर कर रहा था और कल्याणकारी योजनाओं में कुछ भी नहीं, क्योंकि वह निर्मम पूंजीवाद का पालन कर रहा था. भारत में हम अभी भी कल्याणकारी योजनाओं में बहुत निवेश कर रहे हैं.
कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च में बढ़ोतरी: रुचिर शर्मा
उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संतुलन को बुनियादी ढांचे की ओर मोड़ने की कोशिश की है, लेकिन मुझे लगता है कि राज्यों द्वारा कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च की जाने वाली राशि में काफी वृद्धि हुई है. यह एक वेलफेयर ट्रैप है. इस चुनाव में एक बड़ा कारक नीतीश कुमार की सरकार द्वारा महिलाओं को दिए गए 10,000 रुपये हैं, लेकिन अब तेजस्वी यादव 30,000 रुपये देने का वादा कर रहे हैं. राज्य इसी तरह के दुष्चक्र में फंस जाते हैं.
उन्होंने कहा कि जब आप यहां पर गरीबी के दृश्य देखते हैं या यहां के लोगों को देखते हैं तो आप दान, अनुदान देना चाहते हैं, लेकिन आखिर में कोई भी विकास मॉडल इसी पर आधारित नहीं हो सकता है. आप इससे खामियों को तो भर सकते हैं, लेकिन विकास मॉडल को रोजगार, नई नौकरियां आदि से प्रेरित होकर नीचे से ऊपर की ओर आना होगा.
शर्मा ने कहा कि बिहार जैसे राज्यों और सामान्य रूप से भारत को लेकर मेरा डर यह है कि हम इस कल्याणकारी जाल में फंस रहे हैं.














