Rajgir Vidhansabha Seat: राजगीर में JDU के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका, कौशल किशोर या विश्वनाथ चौधरी? कौन मारेगा बाजी

Rajgir Vidhansabha Chunav 2025: राजगीर विधानसभा क्षेत्र में बेरोज़गारी, भूमि विवाद और पर्यावरण संकट जैसी समस्याएं छिपी हैं. पर्यटन विकास में स्थानीय लोगों की भागीदारी की कमी, भूमि अधिग्रहण विवाद और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दे मतदाताओं के बीच चर्चा में हैं. राजगीर से इस बार कौन जीतेगा चुनाव?

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राजगीर विधानसभा सीट पर कौन जीतेगा.
पटना:

नालंदा लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली राजगीर विधानसभा सीट 1957 से अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है. इसमें राजगीर नगर परिषद, पावापुरी नगर पंचायत और गिरियक प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्र शामिल हैं. यहां कुर्मी, यादव और दलित मतदाता प्रमुख हैं. नीतीश कुमार के प्रभाव क्षेत्र में होने की वजह से जेडीयू की स्थिति वर्षों से मजबूत रही है.

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राजगीर सीट पर किस दल ने कितनी बार जीता चुनाव

  • अब तक 16 बार हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 9 बार यहां से जीत हासिल की है, जिसमें दो बार वह भारतीय जनसंघ के रूप में शामिल है.
  •  कांग्रेस, सीपीआई और जदयू ने दो-दो बार, जबकि जनता पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की.
  •  2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने जीत दर्ज की थी, लेकिन आरजेडी ने अपने वोट प्रतिशत में सुधार किया.
  • 2015 के चुनाव में जदयू के रवि ज्योति कुमार ने बीजेपी प्रत्याशी सत्यदेव नारायण आर्य को हराया था.
  • वहीं 2020 में रवि ज्योति कुमार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

जेडीयू के पास तीसरी बार जीत का मौका

कांग्रेस उम्मीदवार रवि ज्योति को जेडीयू के कौशल किशोर ने उन्हें पराजित किया. इस चुनाव में जेडीयू के सामने जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है. राजगीर में कुर्मी और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जबकि राजपूत, मुस्लिम और भूमिहार भी महत्वपूर्ण हैं.

राजगीर विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे

राजगीर विधानसभा क्षेत्र में बेरोज़गारी, भूमि विवाद और पर्यावरण संकट जैसी समस्याएं छिपी हैं. पर्यटन विकास में स्थानीय लोगों की भागीदारी की कमी, भूमि अधिग्रहण विवाद और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दे मतदाताओं के बीच चर्चा में हैं. गर्म पानी कुंड और विश्व शांति स्तूप क्षेत्र में अवैध निर्माण को लेकर लोगों में नाराज़गी है. नीतीश कुमार का प्रभाव अब भी कायम है, लेकिन युवा मतदाता अब ठोस रोजगार और उद्योग की मांग कर रहे हैं.

राजगीर सीट पर मुख्य मुकाबला

फिलहाल, राजगीर न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राजनीतिक दृष्टिकोण से भी एक अहम विधानसभा क्षेत्र बना हुआ है, जो समय-समय पर बिहार की राजनीति में अपनी छाप छोड़ता है. इस बार चुनाव में एनडीए में यहां से जेडीयू ने कौशल किशोर, महागठबंधन में शामिल भाकपा-माले ने विश्वनाथ चौधरी और जन स्वराज पार्टी ने सत्येंद्र कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है.

राजगीर सीट पर मतदाताओं की संख्या

राजगीर विधानसभा क्षेत्र में साल 2020 में 2,94,082 रजिस्टर्ड वोटर्स थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 3,10,086 हो गए. यहां अनुसूचित जाति के वोटर्स 25.12% हैं. 6.5% मुस्लिम वोटर्स हैं. यहां शहरी वोटर्स सिर्फ 16.3% हैं. इस क्षेत्र मं ग्रामीण वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है.

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राजगीर सीट का इतिहास

राजगीर की प्राकृतिक और ऐतिहासिक सुंदरता के बीच की बात करें तो यह अपनी प्राचीन संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. पांच पहाड़ियों से घिरा यह नगर लगभग 4000 साल पुराने इतिहास को समेटे हुए है. प्राचीन काल में 'राजगृह' के नाम से जाना जाने वाला राजगीर हर्यंक, प्रद्योत, बृहद्रथ और मगध साम्राज्य जैसे शक्तिशाली राजवंशों की राजधानी रहा. हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों के लिए यह एक पवित्र तीर्थस्थल है. महाभारत में राजगीर को जरासंध का साम्राज्य बताया गया है, जिसका युद्धस्थल आज 'जरासंध अखाड़ा' के नाम से जाना जाता है.

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