पप्पू यादव, बीमा भारती, संतोष कुशवाहा... कल के धुर विरोधी आज साथ-साथ, क्या बदलेगी सीमांचल की सियासत?

पूर्णिया न केवल सीमांचल का प्रमंडलीय मुख्यालय है बल्कि आर्थिक और राजनीतिक 'हार्ट लैंड' भी माना जाता है. जाहिर है बीमा, पप्पू और संतोष मिलकर जब एक राजनीतिक सुर साधेंगे तो निश्चित रूप से इसके दूरगामी परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं.

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एक-दूसरे के विरोधी रहे सीमांचल के 3 बड़े सियासी चेहरे पप्पू यादव, बीमा भारती और संतोष कुशवाहा अब महागठबंधन के साथ हैं.
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  • पूर्णिया के पूर्व JDU सांसद संतोष कुशवाहा ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले RJD का दामन थाम लिया है.
  • संतोष कुशवाहा, बीमा भारती और पप्पू यादव अब महागठबंधन के एक ही राजनीतिक मंच पर खड़े नजर आ रहे हैं.
  • बीमा भारती और संतोष कुशवाहा विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. तीनों के साथ आने से सीमांचल की राजनीति पर असर पड़ सकता है.
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पूर्णिया:

Bihar Elections: बिहार में विधानसभा चुनाव के शतरंजी बिसात पर राजनीतिक दलों के सूरमाओं द्वारा नित नए मोहरे डाले जा रहे हैं. मैदान में उतरने से पहले शह और मात का खेल बदस्तूर जारी है. इस खेल में सबसे अहम नेताओं का पाला बदलना शामिल है. ऐसा ही एक दिलचस्प खेल शुक्रवार को पटना में देखने को मिला जब पूर्णिया के पूर्व JDU सांसद संतोष कुशवाहा ने एक नाटकीय घटनाक्रम में RJD का दामन थाम लिया. उनका जिले के सबसे हॉट सीट धमदाहा विधानसभा से RJD प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. इस नई परिस्थिति में अब पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा, पूर्व मंत्री बीमा भारती और पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव एक ही राजनीतिक प्लेटफॉर्म पर खड़े नजर आ रहे हैं.

पिछले साल लोकसभा चुनाव में तीनों एक-दूसरे के खिलाफ थे

गौरतलब है कि पिछले साल लोकसभा चुनाव में ये तीनों एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे. संतोष कुशवाहा पूर्णिया सीट से NDA प्रत्याशी थे, वहीं बीमा भारती RJD प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थी और पप्पू यादव ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी संतोष और बीमा को पराजित किया था. पप्पू यादव खुद को कांग्रेसी मानते रहे हैं औऱ वे हमेशा राजनीतिक मंचों पर कांग्रेस समर्थक के रूप में मौजूद रहते हैं.

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कल के विरोध अब एक साथ, क्या होगा असर?

मतलब कल तक एक दूसरे के घुर विरोधी रहे पप्पू, बीमा और संतोष इस विधानसभा चुनाव में एक साथ महागठबन्धन के सुर साधते नजर आएंगे. अहम यह है कि बीमा भारती का रुपौली से और संतोष का धमदाहा से राजद प्रत्याशी बनना तय है.

पूर्णिया न केवल सीमांचल का प्रमंडलीय मुख्यालय है बल्कि आर्थिक और राजनीतिक 'हार्ट लैंड' भी माना जाता है. जाहिर है बीमा, पप्पू और संतोष मिलकर जब एक राजनीतिक सुर साधेंगे तो निश्चित रूप से इसके दूरगामी परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं.

पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा ने थामा राजद का दामन

पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा ने शुक्रवार को जब RJD का दामन थामने का फैसला लिया तो यह फैसला उनके समर्थकों के लिए भी अप्रत्याशित था. वजह यह रही कि कुशवाहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं. वे एक बार बायसी विधानसभा से विधायक और पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से JDU से दो बार सांसद रह चुके हैं. बीते लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

इस बार उनका कटिहार जिले के कदवा विधानसभा क्षेत्र से JDU प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर थी और जानकर बताते हैं कि इसकी तैयारी भी वे शुरू कर चुके थे.

लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चुनाव लड़ने को लेकर JDU के अंदर की गुटबाजी से नाराज होकर उन्होंने RJD का दामन थामने का अचानक फैसला लिया. चर्चा के अनुसार, महागठबन्धन को धमदाहा में बिहार सरकार की मंत्री लेसी सिंह के खिलाफ एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश थी, इसलिए RJD ने बिना देर किए उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया.

निश्चित रूप से अब धमदाहा का मुकाबला अब दिलचस्प हो गया है. वहीं कुशवाहा के JDU से अलग होने को NDA के लिए एक बड़े नुकसान के रूप में देखा जा रहा है.

बीमा भारती लोकसभा चुनाव में रह चुकी हैं राजद प्रत्याशी

कभी निर्दलीय तो कभी JDU की नौका की सवारी कर 5 बार रुपौली विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुकीं बीमा भारती बहरहाल RJD नेत्री के रूप में जानी जाती है. वे बाहुबली और गैंगस्टर अवधेश मण्डल की पत्नी हैं. बीमा भारती राज्य सरकार में नीतीश कुमार मंत्रिमंडल की सदस्य भी रह चुकी हैं. बीते वर्ष, RJD-JDU के बीच राजनीतिक अलगाव के बाद वे पाला बदल कर RJD के साथ चली गई थी.

इसका पारितोषिक उन्हें लोकसभा चुनाव में मिला और उन्हें पूर्णिया से RJD उम्मीदवार बनाया गया लेकिन पप्पू यादव और संतोष कुशवाहा के बीच हुई जंग में उन्हें अपनी जमानत गवानी पड़ी. इसके बाद वे अपनी ही सीट पर वर्ष 2024 में हुए उपचुनाव में निर्दलीय एवं बाहुबली शंकर सिंह के हाथों पराजित हुई.

अब इस चुनाव में वे फिर RJD उम्मीदवार के रूप में रुपौली के मैदान में होंगी. बीमा भारती अतिपिछड़ी गंगोता जाति से आती है और इस जाति की वे नामचीन चेहरा हैं.

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पप्पू यादव ने संतोष और बीमा को किया था पराजित

पूर्णिया संसद पप्पू यादव ने गत लोकसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीता था और इस चुनाव में उनके निकटतम प्रतिद्वंदी एनडीए प्रत्याशी संतोष कुशवाहा रहे थे, जो लगभग 23 हजार मतों से पराजित हुए थे. राजद प्रत्याशी बीमा भारती तीसरे स्थान पर रही थी. तकनीकी तौर पर न सही, पप्पू यादव खुद को कांग्रेस सांसद ही मानते रहे हैं.

इस प्रकार अगर महागठबन्धन की बात करें तो पप्पू, संतोष और बीमा एक ही राजनीतिक प्लेटफॉर्म पर खड़े नजर आ रहे हैं. बीमा और संतोष विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी होंगे और जब पप्पू यादव दोनों के लिए वोट मांगने मैदान में उतरेंगे तो निश्चित रूप से राजनीतिक नजारा दिलचस्प होगा. हालांकि, यह कोई नई बात नही होगी क्योंकि राजनीति में कोई किसी का न तो स्थायी रूप से दोस्त और स्थायी रूप से दुश्मन होता है.

पप्पू ,बीमा और संतोष का सुर मिलकर कितना होगा प्रभावी

राजनीति के जानकार पप्पू, बीमा और संतोष के एक राजनीतिक मंच पर उपस्थिति को महागठबन्धन की मजबूती से जोड़कर देख रहे हैं. पप्पू यादव न केवल कोसी-सीमांचल बल्कि बिहार की राजनीति के चर्चित चेहरे हैं और कोसी-सीमांचल में उनका अपना जनाधार है. इसी प्रकार आज की बिहार की राजनीति में 'हॉट केक' बन चुके कुशवाहा (कोइरी) जाति से आने वाले संतोष कुशवाहा भी अपनी बिरादरी के महत्वपूर्ण चेहरा हैं.

वे अपनी बिरादरी में कोसी-सीमांचल समेत उत्तर बिहार में लोकप्रिय हैं. वहीं, बीमा भारती अतिपिछड़ा गंगोता जाति से आती हैं और उनकी अपनी बिरादरी में अच्छी पैठ है. यह जाति कोसी-सीमांचल की कई विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में है. जाहिर है इस बार अन्य क्षेत्रों में भी महागठबन्धन के लिए वोट मांगती नजर आएगी.

कुल मिलाकर, पप्पू, बीमा और संतोष जब साथ होंगे तो सामाजिक समीकरण जिताऊ समीकरण में भी तब्दील हो सकता है. लेकिन, यह सब इस बात पर भी निर्भर करता है कि भविष्य में निर्दलीय सांसद पप्पू यादव की क्या राजनीतिक भूमिका होगी?

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