बिहार जल संसाधन विभाग के एक इंजीनियर भागलपुर जिले में तटबंध का निरीक्षण करने के लिए नाव पर सवार होकर जाते समय गंगा नदी में गिर गए. इसके बाद एनडीआरएफ कर्मियों ने उन्हें बचाया. दुर्घटना के समय जल संसाधन विभाग के कटिहार प्रक्षेत्र के मुख्य अभियंता अनवा जमील, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की मोटर बोट पर सवार थे. वह 8.26 किलोमीटर लंबे इस्माइलपुर-बिंदटोली तटबंध के मरम्मत कार्य का निरीक्षण करने के लिए यात्रा कर रहे थे.
तटबंध 20 अगस्त को टूट गया, जिससे भागलपुर के गोपालपुर खंड के करारी तिनटंगा, बुद्धुचक और आसपास के अन्य इलाकों में बाढ़ आ गई. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि वह अचानक मोटर बोट से नदी में गिर गए जिसके बाद एनडीआरएफ कर्मियों ने उन्हें तुरंत बचा लिया.
दुर्घटना के तुरंत बाद जमील ने संवाददाताओं से कहा, 'मुझे आज एक और जीवन मिला. मैं एनडीआरएफ कर्मियों का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने निरीक्षण के दौरान मोटर बोट से गिरने पर मुझे तुरंत बचा लिया.'
बचाव नाव पर एसडीआरएफ अधिकारियों में से एक को अपने सहकर्मी को नाव की गति धीमी करने और नाव को मोड़ने का निर्देश देते हुए सुना जा सकता है. क्लिप से पता चलता है कि एसडीआरएफ टीम की त्वरित प्रतिक्रिया के कारण मुख्य अभियंता को अंततः सुरक्षित निकाल लिया गया.
वहीं, बीते शुक्रवार को एक सरकारी स्कूल का शिक्षक पटना के पास गंगा में गिर गया और तेज धारा में बह गया. घटना नासरीगंज घाट पर हुई जहां अविनाश कुमार ने अपने स्कूल जाने के लिए नाव ली. पुलिस ने बताया कि नाव पर सवार होने के दौरान वह फिसल गया और नदी के तल में गिर गया, जो बरसात के मौसम में उफान पर रहती है.
बिहार में कई नदियां उफान पर हैं और खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. क्षेत्रीय मौसम विभाग ने राज्य के 17 जिलों में 'मध्यम' से 'भारी' बारिश की चेतावनी जारी की है. आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा इस समय बिहार में कई बिंदुओं पर खतरे के स्तर से ऊपर बह रही है. पटना के गांधी घाट पर यह खतरे के निशान से 44 सेमी और भागलपुर के कहलगांव में खतरे के निशान से 52 सेमी ऊपर है.
खासकर भागलपुर में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, क्योंकि गंगा का बाढ़ का पानी कई गांवों में घुस गया है. भागलपुर के जिलाधिकारी ने नवक किशोर चौधरी ने आईएएनएस को बताया कि हमने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीमों के साथ बचाव अभियान चलाया है. हम एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 12 टीमों के साथ काम कर रहे हैं, ग्रामीणों को बचा रहे हैं और उन्हें उच्च भूमि पर ले जा रहे हैं.