बिहार में सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (JDU) और गठबंधन सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच तनातनी की सबसे बड़ी वजह यही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लगता है कि सहयोगी पार्टी उन्हें बेदखल करने में जुटी है. नीतीश के करीबी सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्हें लग रहा है कि बिहार, महाराष्ट्र की ही तर्ज पर चला जाएगा, इस राज्य ने हाल ही में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार को बेदखल होते देखा है जिसकी योजना बीजेपी द्वारा बनाई और क्रियान्वित की गई थी. इसलिए कल उनके एक शीर्ष सहयोगी ने सार्वजनिक तौर पर बयान दिया जिसमें बीजेपी पर पार्टी को तोड़ने के लिए काम करने का आरोप लगाया गया.
उद्धव ठाकरे की तरह नीतीश कुमार भी क्षेत्रीय नेता हैं जो अपने 'मैदान' को बचाने और बीजेपी के हमले का सामना करने का प्रयास कर रहे हैं. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का पतन उनकी ही पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की ओर से संचालित था. बीजेपी के साथ मिलकर काम करते हुए एकनाथ शिंदे ने शिवसेना ने बड़े विद्रोह की अगुवाई की जिसके कारण उद्धव ठाकरे को सीएम पद छोड़ना पड़ा. उद्धव अब सुप्रीम कोर्ट में इस बात की लड़ाई लड़ रहे है कि असली शिवसेना ने के तौर पर पार्टी के चुनाव चिह्न को बरकरार रखा जाए. उद्धव की तरह ही नीतीश कुमार का भी बीजेपी के साथ गहरा और ऐतिहासिक जुड़ाव रहा है. उन्होंने विपक्षी दलों के साथ गठबंधन के लिए बीजेपी को छोड़ा. फर्क यह है कि नीतीश जहां इन पार्टियों को छोड़कर 2017 में बीजेपी की ओर वापस लौटे जबकि उद्धव ने कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के साथ गठजोड़ के लिए बीजेपी का साथ छोड़ा.
इसके अलावा नीतीश को लगता है कि सहयोगियों के खिलाफ बीजेपी की रणनीति का वह शिकार बन रही है. उनको लग रहा है कि इसमें अमित शाह की शह है जिन्होंने करीबियों को उनकी संयुक्त सरकार के खिलाफ खड़ा किया है. यह साजिश हो या न हो लेकिन यही वजह ह कि नीतीश कुमार ने अपनी ही पार्टी जेडीयू के आरसीपी सिंह को निशाने पर लिया. आरसीपी को नीतीश ने वर्ष 2021 में केंद्र सरकार में जेडी का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना था. बिहार में उन्हें अमित शाह के बेहद करीबी के तौर पर देखा जाता था. दो माह पहले नीतीश ने आरसीपी का राज्यसभा में कार्यकाल बढ़ाने से इनकार कर दिया, इससे आरसीपी का केंद्र सरकार में कार्यकाल खत्म हो गया. इसके बाद आरसीपी पर उनकी अपनी पार्टी द्वारा भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. उन्होंने (आरसीपी ने) शनिवार को नीतीश पर प्रतिशोध, असुरक्षा और पीएम बनने की महत्वाकांक्षा पालने का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी. आरसीपी ने यह भी दावा किया, "नीतीश सात जन्मों भी भी पीएम नहीं बन सकते. "
नीतीश के सहयोगियों को लगता है कि बीजेपी को लेकर सीएम की चिंताएं बेवजह नहीं हैं. वे बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा की हाल की उस टिप्पणी की ओर ध्यान दिताते हैं कि क्षेत्रीय दल नहीं रहेंगे और केवल बीजेपी ही रहेगी. अब लगभग सब कुछ दो बैठकों पर निभर्र करता हैं- एक जो आज बाद में नीतीश और डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के बीच निर्धारित है और दूसरी वह जो नीतीश ने कल अपनी पार्टी के विधायकों की बुलाई है.
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