- मोकामा विधानसभा सीट की सियासत में बाहुबली नेता अनंत सिंह का प्रभाव जेल में होने के बावजूद बरकरार
- जदयू नेता ललन सिंह ने अनंत सिंह की गैरमौजूदगी में मोकामा चुनाव की जिम्मेदारी संभालते हुए भावनात्मक अपील की
- अनंत सिंह को दुलारचंद यादव हत्या मामले में गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है
बिहार की धरती पर मोकामा विधानसभा सीट, यहां की सियासत में एक नाम गूंजता है और वो है बाहुबली अनंत सिंह. दुलारचंद यादव की हत्या मामले में वो अब जेल में हैं, लेकिन अनंत सिंह का रुतबा ऐसा है कि उनकी गैरमौजूदगी में भी उनका असर मिटा नहीं है. दुलारचंद की हत्या के बाद मोकामा की राजनीति में जो उबाल है, और इसी उबाल में जदयू नेता ललन सिंह ने एक नया सियासी पत्ता फेंका है कि यहां का "हर व्यक्ति अनंत सिंह है." जब बिहार की राजनीति दुलारचंद की हत्या की वजह से गरमाई हुई है. तब मोकामा और यहां के बाहुबली अनंत सिंह का जोर-शोर से जिक्र हो रहा है. इस घटना के बाद अनंत सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं, हालांकि वे अब जेल में हैं. लेकिन उनकी राजनीतिक विरासत को लेकर मोकामा में एक नया नैरेटिव तैयार हो रहा है.
अनंतमय कर दीजिए पूरे मोकामा को...ललन सिंह की अपील
जनता यूनाइटेड दल के नेता ललन सिंह ने मोकामा में कदम रखते ही एक इमोशनल कार्ड खेला. जहां उन्होंने कहा, "एक-एक व्यक्ति अनंत सिंह बनकर चुनाव लड़े. आज वह नहीं हैं, तो हमने आज से मोकामा के चुनाव का कमान संभाल लिया है." ललन सिंह ने लोगों से अपील की कि वे खुद को अनंत सिंह समझें और चुनाव में उसी जोश और जुनून के साथ उतरें जैसे अनंत सिंह उतरते थे. अनंत सिंह को भारी मतों से जिताकर साजिश करने वालों का मुंह काला कीजिए. अनंतमय कर दीजिए पूरे मोकामा को. पूरे इलाके में फैल जाइए." इस बयान के बाद मोकामा की सियासी फिजा को और गर्म कर दिया है, अब सबकी नजर इस सीट पर टिकी है. क्या ललन सिंह की यह रणनीति काम करेगी? क्या अनंत सिंह की गैरमौजूदगी में भी उनका प्रभाव वोटों में तब्दील होगा?
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अनंत सिंह जेल में लेकिन राजनीति उन्हीं के इर्द-गिर्द
बिहार की राजनीति में कुछ नाम सिर्फ नेता नहीं होते, वे अलग किस्म के प्रतीक बन जाते हैं. मोकामा का नाम लेते ही एक चेहरा सामने आता है, वो है अनंत सिंह. ‘छोटे सरकार' के नाम से मशहूर यह नेता अब जेल में हैं, लेकिन ये राजनीति की मजबूरी है कि उनकी गैरमौजूदगी में भी मोकामा की सियासत उन्हीं के इर्द-गिर्द घूम रही है. इससे पहले 2020 में जब अनंत सिंह जेल में थे, तब भी उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. यह जीत सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं थी, बल्कि उस जनभावना की थी जो सलाखों के पार भी अपने नेता को नहीं भूलती. बिहार की राजनीति में यह कोई अपवाद नहीं, बल्कि एक परंपरा सी बन चुकी है.
राजनीतिक दलों की क्या मजबूरी
मोकामा में इस बार माहौल अलग है, अनंत सिंह की गैरमौजूदगी ने एक खालीपन पैदा किया है, जिसे भरने की कोशिश अब जदयू नेता ललन सिंह कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने इसे सिर्फ एक राजनीतिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक भावनात्मक अभियान बनाने की कोशिश कर दी है. जनसभा में ललन सिंह ने कहा कि एक-एक व्यक्ति अनंत सिंह बनकर चुनाव लड़े. आज वह नहीं हैं, तो हमने मोकामा के चुनाव का कमान संभाल लिया है. अनंतमय कर दीजिए पूरे मोकामा को, पूरे इलाके में फैल जाइए. उनका यह बयान सिर्फ एक रणनीति नहीं, बल्कि उन लोगों को लुभाने की कोशिश है जो अनंत सिंह को बाहुबली से इतर भी देखते हैं.
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दुलारचंद हत्या में क्यों आया अनंत सिंह का नाम
बिहार में पटना की एक अदालत ने मोकामा सीट से जनता दल (यूनाइटेड)-जद (यू) उम्मीदवार अनंत सिंह और उनके दो सहयोगियों को जन सुराज पार्टी समर्थक दुलार चंद यादव की हत्या के सिलसिले में रविवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. मोकामा सीट से जदयू के प्रत्याशी अनंत सिंह को उनके सहयोगियों मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम के साथ मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत में पेश किया गया. ये तीनों इससे पहले यादव की हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए थे. जन सुराज समर्थक दुलार चंद यादव की मौत के बाद अनंत सिंह पर संलिप्तता के आरोप लगे हैं. यादव की हाल में अनंत सिंह के समर्थकों से झड़प हुई थी. इसके बाद पुलिस ने शनिवार की देर रात सिंह को उनके मोकामा के बरह स्थित आवास (पटना से करीब 200 किलोमीटर दूर) से हिरासत में लिया था.














