बिहार : मोतिहारी जिले में मंडरा रहा बाढ़ का खतरा, ग्रामीणों के गुस्से का शिकार हुए अधिकारी

बिहार (Bihar Flood) के मोतिहारी जिले में एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. सुगौली क्षेत्र से होकर बहने वाली सिकरहना नदी के पानी के उफान से बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है.

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मोतिहारी:

बिहार (Bihar Flood) के मोतिहारी जिले में एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. जिले सहित बिहार में हो रही लगातार बारिश व नेपाल से भरे पैमाने पर पानी छोड़े जाने के बाद एक बार फिर जिले में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. सुगौली क्षेत्र से होकर बहने वाली सिकरहना नदी के पानी के उफान से बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है. नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. सुकुल पाकड़ पंचायत के लालपरसा धुमनी टोला के सामने कटा रिंग बांध लगभग टूटने के कगार पर है. 50 से ऊपर रिंग बांध पिछले साल के बाढ़ से टूटा है, जहां से नदी का पानी निकल कर लालपरसा के खेतिहर क्षेत्रों में तेजी से फैलने लगा है. नदी से कटाव कर रहे बांध पर स्थानीय ग्रामीण कटाव अवरोधक कार्य नहीं करने दे रहे हैं. BDO, PO को काम रोकने के बाद बैरंग वापस जाना पड़ा.

ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि अधिकारी बाढ़ के समय काम की खानापूर्ति करते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि बांध बह जाता है और लाखों रुपये हाकिम और ठेकेदार डकार जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ से पहले उचित समय पर बांध बनाया जाए. उनका कहना है कि वे भले ही बाढ़ में डूब जाएंगे पर पैसे का बंदरबांट नहीं होने देंगे. पिछले साल बांध मरम्मत के नाम पर 40 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. बांध नहीं होने को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है.

पिछले एक हफ्ते में DM, DDC, SDO, जल संसाधन विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, BDO, PO और विधायक शशि भूषण सिंह भी बांद पर आ चुके हैं. जिलाधिकारी ने बांध की मरम्मत और गांव की सुरक्षा के लिए कड़े आदेश दिए थे. कहा था कि सुरक्षा नहीं होने पर सम्बन्धित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल प्रखंड के 8 पंचायतों सहित सुगौली नगर पंचायत के 15 वार्डों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.

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सुगौली के उत्तरी छपरा बहास पंचायत के भवानीपुर गांव पर सिकरहना नदी के कटाव से कई घर पहले ही गायब हो चुके हैं. इस बरसात में भी कई घरों पर कटाव का भारी खतरा बना हुआ है. जिले से निकलने वाली लगभग सभी नदियां उफान पर हैं व सभी नदी नाले व निचले इलाके पूरी तरह से जलमग्न हैं. हालात बद से बदतर हो रहे हैं. नदियां अपने रौद्र रूप में हैं. ये नदियां कभी भी जिले में जलप्रलय मचा सकती हैं.

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जिले के अगर बांधों की स्थिति की बात की जाए तो इस बार भी दर्जनों बांध पूरी तरह से कमजोर हालात में हैं. कई बांध अपनी अंतिम सांस गिन रहे हैं. कई टूटने के कगार पर है लेकिन प्रशासन सिर्फ कागजी खानापूर्ति में लिप्त है. जिले के सुगौली प्रखंड में नेपाल से छोड़े गए पानी का दबाव काफी तेजी से बना हुआ है. स्थिति यह है कि सुगौली के कई गांव अभी से ही जलमग्न हो चुके हैं. सुगौली के सुकुल पंचायत का लालपरसा का धमनी टोला के सामने कटा रिंग बांध लगभग टूट चुका है. यहां के ग्रामीण दहशत में जीने को मजबूर है.

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बता दें कि सुगौली में प्रतिवर्ष 50 से अधिक बांध बाढ़ में टूटते हैं व लाखों की आबादी इससे प्रभावित होती है. इस बार भी कई बांध टूटने के कगार पर हैं लेकिन प्रशासन ने इस बाबत कोई कार्य नहीं किया है. बीडीओ व सीओ गुरुवार को जब गांव पहुंचे तो उन्हें ग्रामीणों का आक्रोश झेलना पड़ा. ग्रामीणों का सीधा आरोप था कि जब यहां के बांधों की मरम्मत समय पूर्व नहीं हुई और जब बाढ़ का खतरा सामने है, नदियां उफान पर हैं तो ये अधिकारी सिर्फ पैसों की बंदरबांट के लिए आए हैं, इसलिए वे लोग बांध की मरम्मत नहीं होने देंगे. ग्रामीणों के विरोध के कारण अधिकारियों को बैरंग लौटने को मजबूर होना पड़ा. फिहहाल अब स्थिति यह है कि सुगौली के 8 पंचायत सहित 15 वार्डों में बाढ़ कभी भी अपना तांडव मचा सकती है.

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