बिहार में बाढ़ का कहर जारी है और गंडक, कोसी, महानंदा, बागमती नदियां उफान पर हैं. सहरसा के नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ पीड़ितों से केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने मुलाकात की है. उन्होंने कहा कि बाढ़ हर साल आती है. लेकिन बाढ़ से निपटने के लिए स्थायी समाधान पर बात होनी चाहिए. नदियों को जोड़ने का काम हो या हाई डेम के निर्माण का काम हो. मैं इन तमाम बिंदुओ और यहां की स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को जानकारी देंगे.
चिराग पासवान ने कहा कि ग्रामीण जल्द से जल्द अपने घर वापस जा सके. यह पहली प्राथमिकता है. मवेशी के लिए चारा की व्यवस्था का भी निर्देश स्थानीय प्रशासन को दिया गया है. कुछ शिकायतें मिली हैं, जिसको लेकर भी निर्देश दिया गया है. शिकायतें कुछ घंटों में दूर हो जाएगी.
चिराग ने कहा कि यह दोषारोपण का समय नहीं है. किस सरकार में क्या काम हुआ और क्या नहीं हुआ? मैं यह नहीं कह रहा कि नेता प्रतिपक्ष देश में क्यों नहीं हैं. चुनाव के वक्त हर कोई दिखता है. लेकिन त्रासदी में क्यों नहीं. मैं राष्ट्रीय पार्टी के नेता से भी पूछूंगा. राहुल गांधी के पास इतना समय नहीं है जो बिहार के किसी त्रासदी में वह आए और ग्रामीणों से मुलाकात करें.
उफान पर ये नदियां
बिहार की सभी प्रमुख नदियां उफान पर हैं और खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. गंगा नदी गांधी घाट, हाथीदह, कहलगांव में खतरे के निशान से ऊपर है, जबकि गंडक डुमरियाघाट और रेवा घाट में लाल निशान से ऊपर है. कोसी नदी कुरसेला और बलतारा, बागमती ढेंग, सोनाखान, डूबाधार, कंसार, कटौंझा और बेनीबाद में, बूढ़ी गंडक खगड़िया में कमला बलान जयनगर और झंझारपुर रेल पुल के पास खतरे के निशान से ऊपर है.
बाढ़ से 10 लाख की आबादी प्रभावित
बाढ़ से 55 प्रखंडों की करीब 10 लाख की आबादी प्रभावित है. आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, बिहार के 16 जिलों पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, सिवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सारण एवं सहरसा के 55 प्रखंडों में 269 ग्राम पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है.