प्रवर्तन निदेशालय पटना ने रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल (RCT) घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पटना, नालंदा और मंगलुरु में चार जगहों पर छापेमारी की. 22 जनवरी 2025 को इस मामले में जज आर.के. मित्तल और अन्य वकीलों से जुड़े ठिकानों पर छापे मारे गए. कार्रवाई में तीन वकील - बिद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा और विजय कुमार को गिरफ्तार किया गया. कोर्ट ने इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
ईडी ने यह जांच सीबीआई, पटना एसीबी द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की. एफआईआर में रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल, पटना में बड़ी संख्या में अनियमितताओं और आपराधिक साजिशों का उल्लेख था. इसमें अज्ञात रेलवे कर्मचारियों, बिद्यानंद सिंह, परमानंद सिंह, विजय कुमार और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.
इन मामलों में जज आर.के. मित्तल ने डिक्री/निष्पादन आदेश जारी किए थे, जिसमें लगभग 50 करोड़ रुपये का मुआवजा दावा किया गया. आरोप है कि इन वकीलों ने दावाकर्ताओं की जानकारी के बिना उनके नाम पर बैंक खाते खोले और उनके हस्ताक्षर व अंगूठे के निशान का उपयोग कर रेलवे से मिले पैसों को अपने खातों में ट्रांसफर कर लिया. इसके बाद वकीलों ने अपनी मर्जी से थोड़ा-बहुत पैसा दावेदारों को मुआवजे के रूप में दिया.
छापेमारी के दौरान वकीलों और जज के नाम पर खरीदी गई संपत्तियों की जानकारी मिली. इसके अलावा, भौतिक और डिजिटल रिकॉर्ड, खाली हस्ताक्षरित बैंक चेक और दावेदारों के हस्ताक्षरित कागजात भी बरामद किए गए. ईडी ने मामले की जांच जारी रखते हुए इस घोटाले से जुड़े और सबूत जुटाने की बात कही है.