बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी कथित ‘‘नौकरी के बदले जमीन'' घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश हुईं. इसके अलावा ईडी ने उनके पति एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद तथा उनके बेटे तेज प्रताप यादव को भी पूछताछ के लिए तलब किया है. राबड़ी देवी अपनी सांसद बेटी मीसा भारती के साथ पटना में बैंक रोड स्थित ईडी के कार्यालय पहुंचीं. सूत्रों के अनुसार राबड़ी देवी से जांच एजेंसी ने 50 सवाल पूछे.
राबड़ी देवी से पूछे गए कुछ सवाल
- लोगों की नौकरी का पैरवी आपने क्यों किया ?
- तेजस्वी यादव का दिल्ली में बंगला है उसके बारे में आप क्या जानते हैं ?
- पटना के सगुना मोड़ पर जो जमीन है वह आपने कब ली?
- जमीन कैसे और कितने में आपने खरीदा?
- अपार्टमेंट निर्माण में लगी राशि कहां से आई?
- जिन लोगों को रेलवे में नौकरी लगी उन्हें आप कैसे जानती थी?
- जिनकी नौकरी रेलवे में लगी उनकी ज़मीन आपके परिवार के नाम पर कैसे आ गई?
- आपने इतनी जमीन कैसे अर्जित की ?
- उनलोगों से आपकी पहली बार कब मुलाकात हुई?
यह मामला 2004-2009 के दौरान रेलवे में समूह ‘डी' नियुक्तियों से संबंधित है. उस समय लालू यादव संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में रेल मंत्री थे. ईडी ने पहले एक बयान में कहा था कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी के अनुसार अभ्यर्थियों को रेलवे में नौकरी के बदले में ‘‘रिश्वत के तौर पर जमीन हस्तांतरित करने'' के लिए कहा गया था.
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सीबीआई की शिकायत पर आधारित है. एजेंसी के अनुसार, लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों- राबड़ी देवी, मीसा भारती और हेमा यादव ने अभ्यर्थियों के परिवारों से मामूली रकम पर जमीन हासिल कर ली थी.
ईडी ने कहा, ‘‘आरोपपत्र में नामजद एक अन्य आरोपी हृदयानंद चौधरी, राबड़ी देवी की गौशाला का पूर्व कर्मचारी है, जिसने एक अभ्यर्थी से संपत्ति अर्जित की थी और बाद में उसे हेमा यादव को हस्तांतरित कर दिया था.'' एजेंसी ने कहा कि ‘ए.के. इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड' और ‘ए.बी. एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड' जैसी फर्जी कंपनियां थीं, जिन्होंने प्रसाद के परिवार के सदस्यों के लिए अपराध की आय प्राप्त की. इसने कहा कि मुखौटे के तौर पर काम करने वाले लोगों द्वारा उक्त कंपनियों के नाम पर अचल संपत्तियां अर्जित की गईं. ईडी ने दावा किया कि बाद में प्रसाद के परिवार के सदस्यों को नाममात्र की राशि में हिस्सेदारी हस्तांतरित की गई.