बिहार : CM नीतीश कुमार ने 'करीबी' आरसीपी सिंह को कैसे किया घर से 'बेघर'?

भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों की मानें तो बंगले का नए सिरे से आवंटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मौन सहमति से किया गया है.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पटना:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अपनी नाराज़गी छिपा नहीं सकते. ये तो सब जानते हैं कि केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) से वो अभी तक नाराज हैं, इसलिए उन्होंने राज्यसभा का एक और तीसरा टर्म उन्हें नहीं दिया. लेकिन अब नीतीश ने अपनी नाराज़गी को अगले स्तर तक ले जाते हुए केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह से पटना का सरकारी आवास छीनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. बृहस्पतिवार को बिहार सरकार के भवन विभाग ने सात स्ट्रैंड रोड स्थित आवास जो संजय गांधी के नाम से आवंटित था, जिसमें अनधिकृत रूप से बतौर सांसद आरसीपी सिंह अब तक रहते आए हैं, उसे मुख्य सचिव के घर के तौर पर कर्णाकिंत कर दिया है.

अब तक जो मुख्य सचिव का घर सात सर्क्युलर होता था, वो फिलहाल नीतीश कुमार का आवास बना हुआ है. वैसे नीतीश कुमार के कब्जे में मुख्यमंत्री का अधिकारिक निवास 1 अणे मार्ग के साथ ही विधान परिषद सदस्यों के लिए बने आवास का बंगला भी है. हालांकि, संजय गांधी जो विधान परिषद के सदस्य हैं, उनको एक और आवास 10 एम स्ट्रैंड रोड भी आवंटित किया गया है. संजय गांधी नीतीश के खास माने जाते हैं, इसलिए वो सालों से अपने निजी घर में रहकर भी सरकारी आवास आवंटित कराकर नीतीश के इशारे पर उनके किसी करीबी को रहने के लिए देते हैं.

नीतीश की पुरानी आदत रही है ये

भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों की मानें तो बंगले का नए सिरे से आवंटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मौन सहमति से किया गया है. दरअसल, नीतीश सरकारी आवास में रह रहे आरसीपी सिंह को नया छत ढूंढने के लिए मजबूर करना चाहते हैं. जनता दल यूनाइटेड के अधिकांश नेताओं का कहना है कि ये नीतीश की पुरानी आदत रही है कि जिस भी नेता से वो नाराज होते हैं, उसको इस तरह से अपमानित करने में उन्हें मजा आता है.

हालांकि, कई नेता मानते हैं कि इन कदमों से नीतीश का कद कहीं से बड़ा नहीं होता. पूर्व में भी करीबी नेता रहे ललन सिंह या संजय झा से जब उनका मतांतर हुआ था तो उन्होंने ऐसा ही कुछ किया था. सीएम नीतीश ने सिंह के मामले में उनकी सदस्यता ख़त्म करने के लिए जोर लगाया. वहीं, संजय झा से राज्य योजना परिषद से जबर्दस्ती इस्तीफा ले लिया.

भविष्य का नहीं मिला है आश्वासन

खबर है कि आरसीपी सिंह सात जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. उसी दिन राज्यसभा में उनका दूसरा कार्यकाल खत्म होगा. फिलहाल बीजेपी के साथ मधुर सम्बंध होने के बावजूद उन्हें किसी तरह के भविष्य का आश्वासन नहीं मिला है, जिसके आधार पर उन्हें फिलहाल दिल्ली में कोई राजनीतिक ठिकाना मिले. 

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