- बिहार विधानसभा का राजनीतिक समीकरण 2020 के बाद लगातार बदल रहा है और कई विधायकों ने पार्टी बदली है.
- राजद की सीट संख्या 75 से घटकर लगभग 69 रह गई है, क्योंकि कई विधायक एनडीए में शामिल हो गए हैं.
- बीजेपी ने उपचुनावों में सीटें बढ़ाई और अपनी संख्या 80 विधायकों तक पहुंचाकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई है.
राजनीतिक नजरिये से बिहार बड़ा अनोखा राज्य रहा है. यहां सियासी समीकरण बदलते देर नहीं लगती. जीत एनडीए गठबंधन को मिलती है तो भी सरकार में महागठबंधन आ जाता है. जनता महागठबंधन को सरकार बनाने के लिए चुनती है तो सियासत उन्हें विपक्ष बना देती है. चुनावों में मिली जीत के बाद गठबंधन भी बदला और नेता भी. नीतीश कभी महागठबंधन के पाले में तो कभी वापस एनडीए के पाले में रहे. इस बीच कई विधायकों ने भी पाला बदल लिया. कई और विधायक पाला बदलने वाले हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बिहार विजिट के दौरान गयाजी में हुई जनसभा में मंच पर राजद के दो विधायक नजर आए तो चर्चा तेज हो गई कि नवादा विधायक विभा देवी और रजौली विधायक प्रकाश वीर भी एनडीए में जा सकते हैं. हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर कोई घोषणा नहीं हुई है. राजद से दोनों नेताओं की नाराजगी पहले भी दिख चुकी है. चुनाव से पहले दोनों इस्तीफा दें या न दें, राजद के दो सिपहसालार तो कम हो गए.
इससे पहले लखीसराय विधायक प्रह्लाद यादव, मोकामा विधायक संगीता कुमारी (अनंत सिंह की पत्नी) भी अब एनडीए में हैं. आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद, महागठबंधन सरकार में मंत्री रहे मुरारी गौतम, विक्रम विधायक सिद्धार्थ सौरव समेत ऐसे कई नाम हैं, जो अपना पाला बदल चुके हैं. कुल मिलाकर बिहार विधानसभा का गणित 2020 से अब तक काफी बदल चुका है.
पिछले 5 साल में बिहार विधानसभा का गणित कितना बदल चुका है, ये जानने-समझने की कोशिश करते हैं. साथ ही ये भी देखते हैं कि किस पार्टी का स्कोर बढ़ा, किसका घटा है.
राजद: सबसे बड़ी पार्टी थी, 6 कम हो गए
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में राजद ने 75 सीटें जीती थीं और सबसे बड़ी पार्टी बनी. फिर उप चुनाव में अपनी कुढ़नी सीट हार गई. एक विधायक कम हो गए. फिर मुकेश सहनी की वीआईपी के बोचहां विधायक का निधन हो गया और इस पर राजद को जीत मिली. स्कोर फिर से 75 पहुंच गया. AIMIM ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद में इसके 4 विधायक राजद में शामिल हो गए. अब राजद के पास 79 विधायक हो गए. लेकिन रामगढ़ और बेलागंज विधायकों के सांसद बनने के बाद 2024 में ये सीटें खाली हो गईं. उपचुनाव हुए तो बीजेपी ने ये सीटें छीन ली और राजद के पास 77 विधायक बच गए.
लेकिन सवाल ये है कि बचे 77 विधायक क्या वाकई राजद के साथ हैं? कारण कि एनडीए सरकार के फ्लोर टेस्ट के दौरान राजद के 4 विधायकों, प्रह्लाद यादव, चेतन आनंद, नीलम देवी और संगीता कुमारी एनडीए में शामिल हो गए. बजट सत्र के दौरान भभुआ के राजद विधायक भरत बिंद भी भाजपा में शामिल हो गए. राजद का स्कोर 5 कम हो गया.
लालू प्रसाद ने बेटे तेजप्रताप को पार्टी और घर, दोनों से निकाल दिया है. हालांकि हसनपुर विधायक तेजप्रताप की मान्यता रद्द करने के लिए राजद ने आवेदन नहीं दिया. अब दो और विधायक विभा देवी और प्रकाश वीर ने गयाजी में पीएम मोदी के मंच पर शामिल होकर अपना संदेश दे दिया है. यानी राजद का वास्तविक स्कोर 69 पर सिमट गया है.
बीजेपी: 74 सीटें जीती, 6 और जुड़ गए
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में बीजेपी, 74 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी. तब मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी, एनडीए के साथ थी, जिसके तीनों विधायकों को बीजेपी ने शामिल कर लिया. कुढ़नी सीट पर हुए उप चुनाव में राजद हार गई और बीजेपी का स्कोर और बढ़ गया. फिर लोकसभा चुनाव में रामगढ़ से राजद के विधायक और तरारी से लेफ्ट के विधायक सांसद बने तो फिर उप चुनाव हुए. दोनों सीटें बीजेपी के खाते में आईं. इस तरह बीजेपी का स्कोर हो गया 80. यानी उसके पास वर्तमान में 80 विधायक हैं.
जदयू: खाते में आईं 43 सीटें, अब स्कोर 45
2020 विधानसभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू तीसरे नंबर पर रही थी. इसे 43 सीटें मिली थीं. चुनाव के बाद जदयू ने बसपा के एकमात्र विधायक और लोजपा के एक विधायक को पार्टी में शामिल करा लिया. विधायकों की संख्या 45 हो गई. बीजेपी संग सरकार बनाई थी, फिर महागठबंधन से जुड़े, लेकिन महज 18 महीने बाद वापस एनडीए में आ गए. इस बीच पूर्णिया के रूपौली की तत्कालीन जदयू विधायक बीमा भारती ने राजद का दामन थाम लिया था. लोकसभा चुनाव से पहले जदयू के विधायकों की संख्या 44 रह गई. बीमा भारती की छोड़ी हुई रूपौली सीट से निर्दलीय शंकर सिंह जीत गए, जो नीतीश के समर्थक माने जाते हैं. फिर उप चुनाव 2024 में बेलागंज सीट पर राजद की हार हुई, जदयू की जीत. और इस तरह एक बार फिर जदयू 45 पर पहुंच गई.
कांग्रेस: 19 सीटें जीती, 2 ने बदला पाला
2020 बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 19 सीटें जीती. फिर 12 फरवरी को नीतीश के एनडीए में शामिल होने के बाद हुए फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस के दो विधायकों सिद्धार्थ सौरव और मुरारी गौतम ने पाला बदल लिया. इनकी सदस्यता रद्द करने के लिए कांग्रेस ने आवेदन दिया, लेकिन बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने इसे किनारे रख दिया. यानी देखा जाए तो कांग्रेस के पास अब 17 विधायक ही बचे हैं.
CPI-M, CPI-ML, CPI: जीतीं 16 सीटें, कितने बचे
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सभी वाम दलों ने कुल 16 सीटें जीती थी. सबसे ज्यादा भाकपा माले ने 12 सीटें जीती थीं. उम्रकैद की सजा के चलते मनोज मंजिल की सदस्यता रद्द की गई तो एक कम हुए, लेकिन फिर उप चुनाव में शिव प्रकाश रंजन जीते तो फिर 12 हो गए. फिर 2024 लोकसभा चुनाव में तरारी विधायक सुदामा प्रसाद जीत कर सांसद बने तो इस सीट पर हुए उप चुनाव में ये सीट बीजेपी ने छीन ली. इस तरह भाकपा-माले की संख्या 11 रह गई. सीपीआई-एम के दो और सीपीआई के दो विधायक बने थे.
हम, AIMIM और अन्य दलों का हाल
जीतन राम मांझी की पार्टी हम यानी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा- सेक्युलर के चार विधायक जीते थे. मांझी लोकसभा चुनाव में उतरे और जीत कर सांसद बन गए, लेकिन बहु दीपा मांझी ने उपचुनाव में उनकी सीट बचा ली. असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के 4 विधायक जीते थे, जिनमें से 3 राजद के साथ चले गए. अब उसके पास एकमात्र विधायक हैं.
मुकेश सहनी की पार्टी VIP ने चार सीटें जीती थीं. एक के निधन के बाद खाली सीट राजद ने जीती, जबकि तीन विधायक भाजपा के साथ चले गए. इसी तरह लोजपा के एकमात्र विधायक जीते थे, जो जदयू में शामिल हो गए. इस तरह VIP और लोजपा का स्कोर बिहार विधानसभा में जीरो है.
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