बिहार के समस्तीपुर में डीएसपी और इंस्पेक्टर को जज साहब के आदेश की अनदेखी करना इतना महंगा पड़ गया कि उन्हें खुद कई घंटे हवालात में काटने पड़े. कोर्ट ने बाद में पुलिस अधिकारियों से बॉन्ड साइन कराकर ही उन्हें छोड़ा. ये पूरा मामला परिवार न्यायालय से जुड़ा हुआ है. दरअसल, समस्तीपुर परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ने मेन्टेन्स एक्यूशन के एक मामले में आदेश का तामिल ना होने के कारण डीएसपी और इंस्पेक्टर को करीब 6 घंटों तक डिटेन कर दिया. वारिसनगर थाना क्षेत्र के सतमलपुर की रहने वाली नौसर बीवी ने मुफस्सिल थाना क्षेत्र के मोहनपुर के मो.सोनू से शादी की थी. शादी के कुछ दिनों बाद ही दोनों में अनबन हो गई और दोनों अलग-अलग रहने लगे. इसके बाद नौशाद बीवी ने साल 2017 में परिवार न्यायालय में मेन्टेन्स एक्सक्यूशन दायर किया.
नौसर बीबी के द्वारा दायर मेन्टेन्स एक्सक्यूशन के मामले में उसके पति मो. सोनू के खिलाफ न्यायालय के द्वारा वारंट और जब्ती कुर्की का आदेश जारी किया गया था. इसके बावजूद मुफस्सिल थाने में पदस्थापित तत्कालीन थानाध्यक्ष सह पुलिस इंस्पेक्टर के द्वारा इसपर कार्रवाई नहीं की गई.
इस संबंध में पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता प्रणव कुमार ने बताया कि पीड़िता के द्वारा अपने पति के खिलाफ मेन्टेन केस फाइल किया जिसमें वह कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ. उसके बाद एक्यूशन 64/17 दायर किया गया, जिसमें एक बार करीब दस महीना पूर्व पकड़ाकर आया. तब वह 20 हजार रुपये देकर छूटा था और अंडरटेकिंग देते हुए चार बार में सारा पैसा देने की बात कही थी. लेकिन एक रुपये भी जमा नहीं किया और केस में हाजिर भी नहीं हुआ.
उसके बाद कोर्ट के द्वारा गैर जमानती वारंट जारी किया गया. जब्ती कुर्की की प्रक्रिया जारी किया किया. न्यायालय द्वारा मुफस्सिल थानाध्यक्ष को सूचना दी गई. इसपर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. उसके बाद सदर डीएसपी को भी नोटिस भेजा गया. जिसका भी कोई जवाब नहीं आया. उसके बाद न्यायालय ने एसपी के द्वारा दोनों को वारंट जारी कर दिया.