बिहार चुनावः मैथिली ठाकुर की अलीनगर सीट पर क्या मुकाबला एकतरफा होगा?

अलीनगर से इस बार बीजेपी ने जिन मैथिली ठाकुर को मैदान में उतारा है, वो ब्राह्मण हैं. इस बार एलजेपी भी एनडीए में शामिल है. खुद मैथिली भी लोकप्रिय हैं तो क्या वहां उन्हें मुसलमानों का भी साथ मिलेगा और चुनाव एकतरफा होगा?

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  • दरभंगा जिले की अलीनगर सीट बीजेपी की तरफ से मैथिली ठाकुर के मैदान में उतरने से काफी चर्चा में है.
  • ब्राह्मण बहुल सीट पर जातीय गणित का बोलबाला है, यहां मुसलमानों की लगभग 21.2 प्रतिशत आबादी है, जो काफी अहम हैं.
  • 2020 में NDA से अलग होकर LJP चुनाव में उतरी. 5% से अधिक वोट काटे, पर जीत NDA में शामिल VIP के कैंडिडेट की हुई.
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दरभंगा जिले की अलीनगर सीट बीजेपी की तरफ से मैथिली ठाकुर के मैदान में उतरने से काफी चर्चा में है. ब्राह्मण बहुल इस सीट पर जातीय गणित का बोलबाला रहा है लिहाजा सभी दल जातीय समीकरणों को साधने में जुटे हैं. एनडीए ने जहां मैथिली ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया है वहीं महागठबंधन ने विनोद मिश्र और जन सुराज ने विप्लव झा को मैदान में उतारा है. अब प्रत्याशी का समुदाय किसके साथ जाएगा. इस गुत्थी को सुलझाने के लिए क्षेत्र में उसी समुदाय के स्टार प्रचारक की फौज भी उतारी जा रही है. वह अपने कैंडिडिट के पक्ष में अपनी जाति के कितने मतदाताओं को गोलबंद करेंगे, या मतदाताओं पर उनकी बात का कितना असर पड़ेगा यह तो चुनाव के नतीजों के दिन ही पता चलेगा, लेकिन जातीय गणित सुलझाने की गुत्थी में कोई भी गठबंधन या दल किसी से पीछे नहीं है.

जिले की 10 विधानसभा सीटों में से एनडीए ने पिछले चुनाव में 9 हासिल की थी. बिहार के चुनावी परिणाम साक्ष्य हैं कि वहां जातीय समीकरण के चक्र के सामने बड़े-बड़े प्रत्याशी धूल फांकते नजर आते हैं. कुछ ऐसा ही पिछले 2020 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला जब एनडीए से अलग मैदान में उतरी एलजेपी के राज कुमार झा ने करीब 5.7 फीसद यानी 8850 मत हासिल कर आरजेडी का समीकरण बिगाड़ दिया था.

इसकी वजह से यहां बहुत करीबी मुकाबला देखने को मिला और एनडीए में शामिल वीआईपी के प्रत्याशी मिश्री लाल यादव के पक्ष में 39.35 फीसद वोट गिरे थे. 61,082 वोट लेकर उन्होंने तब आरजेडी के कैंडिटेट बिनोद मिश्रा को महज 3,101 मतों से हराया था. हालांकि 2015 के विधानसभा चुनाव में मिश्री लाल यादव बीजेपी की ओर से यहां मैदान में थे और आरजेडी के अब्दुल बारी सिद्दीकी से हार गए थे.

2008 के परिसीमन के बाद अलीनगर विधानसभा सीट अस्तित्व में आया. पहले यह मनीगाछी विधानसभा सीट में आता था. परिसीमन के बाद से अब तक 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में दो बार आरजेडी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी (2010 और 2015) जीते हैं. सामान्य वर्ग की सीट होने के बावजूद अब्दुल बारी सिद्दीकी का जीतना बताता है कि यहां के लोग जाति और धर्म से ऊपर उठ कर वोट डालते आ रहे हैं.

अलीनगर में ब्राह्मण और मुस्लिम वोटर निर्णायक होते रहे हैं. यहां अनुसूचित जाति की करीब 12.37 फीसद और मुसलमानों की लगभग 21.2 प्रतिशत आबादी है. लिहाजा जो भी प्रत्याशी यहां इन दोनों समुदायों का वोट पाता है, जीत उसी की होती है.

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