- बिहार चुनाव में महिला मतदाता एनडीए के लिए महत्वपूर्ण हैं और राज्य सरकार ने कई महिला कल्याण योजनाएं लागू की हैं
- मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 1.25 करोड़ महिलाओं को 10,000 की सहायता राशि उनके बैंक खातों में भेजी
- पुलिस भर्ती और स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण बढ़ाकर उन्हें निर्णय प्रक्रिया में अधिक शामिल किया
बिहार विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ 15 दिन बचे हैं, और महिला मतदाता खासकर एनडीए के लिए अहम माने जा रहे हैं. राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की है. मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 1.25 करोड़ महिलाओं के बैंक खातों में ₹10,000 की राशि भेजी गई है. हर घर को अब 125 यूनिट मुफ्त बिजली मिल रही है, जबकि सामाजिक सुरक्षा पेंशन ₹400 से बढ़ाकर ₹1,100 कर दी गई है, जिससे 1.12 करोड़ परिवारों को लाभ मिला है.
पुलिस भर्ती में महिलाओं के लिए 35% आरक्षण और पंचायत एवं स्थानीय निकायों में 50% आरक्षण ने उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया के केंद्र में ला दिया है. जीविका दीदियों को कम ब्याज पर ऋण, आशा और ममता कार्यकर्ताओं के भत्ते में बढ़ोतरी, और रोजगार योजनाओं में प्राथमिकता ने महिलाओं के बीच एनडीए की पकड़ और मजबूत की है.
महिलाओं को योजनाओं से लुभाने की कोशिश
वहीं दूसरी ओर, महागठबंधन ने सभी संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करने और सभी जीविका समूह की महिलाओं को ₹30,000 मासिक वेतन पर स्थायी सरकारी कर्मचारी बनाने का वादा किया है. इसके साथ ही, उनके घोषणा पत्र में “माई-बहिन मान योजना” शामिल है, जिसके तहत महिलाओं को 1 दिसंबर से पांच वर्षों तक हर महीने ₹2,500 दिए जाएंगे. सभी दल महिलाओं के लिए योजनाओं की घोषणाएं कर रहे हैं और उन्हें लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जब महिला उम्मीदवारों की कम संख्या पर सवाल पूछा जाता है, तो सभी का एक ही जवाब होता है “विनेबिलिटी”
किस पार्टी ने कितनी महिला उम्मीदवारी उतारीं
इस चुनाव में भाजपा ने 13, कांग्रेस ने 5, जदयू ने 13, राजद ने 23, जन सुराज ने 25 और बसपा ने 26 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. पिछली विधानसभा चुनाव में 370 महिला उम्मीदवारों में से 26 महिलाएं जीती थीं यानी 7% सफलता दर, जबकि पुरुष उम्मीदवारों की जीत दर लगभग 10% रही.
साल-दर-साल महिलाओं की भागीदारी
आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश दलों में महिला प्रतिनिधित्व में गिरावट का रुझान है. जदयू ने 2020 में 22 महिला उम्मीदवारों के साथ चरम पर पहुंचकर इस बार गिरावट दर्ज की है. वहीं, राजद ने लगातार सुधार दिखाया है. 2015 में 9 महिला उम्मीदवारों से बढ़कर 2025 में 23 तक पहुंच गई. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने इस बार सबसे अधिक 25 महिला उम्मीदवारों को टिकट देकर दमदार एंट्री की है. भाजपा ने पिछले तीनों चुनावों में लगभग समान स्तर बनाए रखा, जबकि सीपीआई(एमएल) ने 2015 के बाद बड़ी गिरावट दर्ज की है. कांग्रेस का रुझान भी लगातार नीचे जा रहा है.
2020 विधानसभा चुनाव में भाजपा की महिला उम्मीदवारों की 69% सफलता दर रही, 13 में से 9 ने जीत दर्ज की. इसके बाद राजद की 44%, कांग्रेस की 29%, और जदयू की 27% सफलता दर रही. महिला राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देने के बार-बार किए गए वादों के बावजूद आंकड़े दिखाते हैं कि प्रतिनिधित्व में लगातार गिरावट हो रही है, जिससे यह चुनाव पिछले 15 वर्षों में बिहार में महिला प्रतिनिधित्व के मामले में सबसे कमजोर चुनाव बन गया है.














