बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मतगणना से पहले जान लें हर सवाल का जवाब!

कल बिहार में EVM मशीनें खुलेंगी, वोटों की गिनती होगी और धीरे-धीरे साफ होगा कि जनता ने किस पर भरोसा जताया. लेकिन इससे पहले काउंटिंग डे की पूरी प्रक्रिया जान लें...

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पटना:

कल बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे. 243 सीटों के लिए हुए इस महासंग्राम का फैसला सुबह से शुरू होने वाली मतगणना में होगा. इस प्रक्रिया को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं. जैसे- वोटों की गिनती कैसे होती है, कौन करता है और नतीजों तक पहुंचने में कितना वक्त लगता है. आइए जानते हैं मतगणना से जुड़े अहम सवालों के जवाब...

मतगणना कब और कैसे शुरू होती है?

मतगणना सुबह 8 बजे शुरू होती है. उससे पहले सभी ईवीएम और वीवीपैट मशीनें स्ट्रॉन्ग रूम से निकालकर कड़ी सुरक्षा में मतगणना केंद्र तक पहुंचाई जाती हैं. अधिकारी, उम्मीदवारों के एजेंट और पर्यवेक्षक मशीनों की सील की जांच करते हैं. जब सबकी मौजूदगी में सील सुरक्षित पाई जाती है, तभी गिनती शुरू होती है.

मतगणना की प्रक्रिया कैसी होती है?

हर विधानसभा क्षेत्र के लिए एक मतगणना केंद्र बनाया जाता है. वहां कई टेबल्स (काउंटिंग टेबल) लगाई जाती हैं. हर टेबल पर मतगणना पर्यवेक्षक, सहायक और उम्मीदवार के एजेंट मौजूद रहते हैं. ईवीएम को एक-एक करके खोला जाता है, और उसमें दर्ज मतों की संख्या को पढ़कर फॉर्म 17C में दर्ज किया जाता है.

एक राउंड में कितने मतों की गिनती होती है?

मतगणना कई राउंड में होती है. एक विधानसभा सीट पर औसतन 20 से 25 राउंड तक मतगणना चलती है. हर राउंड में एक या दो मतदान केंद्रों (Polling Booths) की ईवीएम के वोट गिने जाते हैं. हर राउंड के बाद रुझान (Trends) जारी किए जाते हैं, जिससे पता चलता है कि कौन उम्मीदवार बढ़त बना रहा है.

निर्वाचन अधिकारी कौन होता है और उसकी भूमिका क्या है?

मतगणना केंद्र की पूरी जिम्मेदारी निर्वाचन अधिकारी (Returning Officer) की होती है. वह संबंधित सीट के नतीजे की घोषणा करने वाला प्रमुख अधिकारी होता है. मतगणना पूरी होने के बाद वही विजेता उम्मीदवार को प्रमाणपत्र (Certificate of Election) जारी करता है.

बैलेट पेपर से कहां और कौन मतदान करता है?

हालांकि ज्यादातर मतदाता ईवीएम से वोट डालते हैं, लेकिन कुछ विशेष मामलों में अभी भी बैलेट पेपर का उपयोग होता है. बैलेट पेपर से सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस बल के जवान वोट करते हैं, जो चुनावी ड्यूटी पर होते हैं. इसके अलावा दिव्यांग या वरिष्ठ नागरिक, जिन्होंने पोस्टल बैलेट की अनुमति ली होती है, वे भी बैलेट पेपर से ही वोट डालते हैं. साथ ही  चुनाव ड्यूटी में तैनात अधिकारी, जो खुद अपने बूथ पर वोट नहीं डाल सकते, वे भी बैलेट पेपर के जरिए ही वोट डालते हैं.

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इन पोस्टल बैलेट्स की गिनती मतगणना की शुरुआत में होती है और यह तय करने में कई बार निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

मतगणना कब तक चलती है और नतीजे कब तक आते हैं?

यह पूरी तरह सीटों की संख्या और राउंड पर निर्भर करता है. अक्सर दोपहर तक रुझान साफ हो जाते हैं, लेकिन अंतिम नतीजे शाम तक आते हैं. जहां मुकाबला कड़ा होता है, वहां गिनती देर रात तक भी चल सकती है.

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मतगणना में पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित की जाती है?

हर उम्मीदवार के प्रतिनिधि (एजेंट) मतगणना के दौरान मौजूद रहते हैं. हर राउंड के बाद परिणाम सभी एजेंटों को दिखाए जाते हैं और उनकी पुष्टि ली जाती है. इसके अलावा, पूरी प्रक्रिया CCTV निगरानी में होती है और केंद्रीय पर्यवेक्षक (Observer) इसकी देखरेख करता है.

कल बिहार में यही प्रक्रिया दोहराई जाएगी. मशीनें खुलेंगी, वोटों की गिनती होगी और धीरे-धीरे साफ होगा कि जनता ने किस पर भरोसा जताया.

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