बिहार के पटना जिले में कई अहम सीटें आती हैं. इनमें से एक बाढ़ विधानसभा सीट भी है, जो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. बाढ़ को राजपूतों का गढ़ भी कहा जाता है, इसीलिए ये पटना का 'मिनी चित्तौड़गढ़' कहलाता है. इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां राजपूत वोटर्स का ही बोलबाला है. यही वजह है कि इस सीट से अब तक सिर्फ एक बार ही ऐसा हुआ है, जब किसी गैर राजपूत ने चुनाव जीता हो. इस सीट पर भी 6 नवंबर को पहले चरण में ही वोट डाले जाएंगे और नतीजे 14 नवंबर को सामने आएंगे.
राजपूत वोटर सबसे ज्यादा
बाढ़ सीट की बात करें तो यहां से बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद 2005 में चुनाव जीती थीं, इसके बाद ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू इस सीट पर लगातार चार बार चुनाव जीते थे. वो दो बार जेडीयू और दो बार बीजेपी से विधायक बने. पिछला चुनाव उन्होंने बीजेपी के टिकट पर लड़ा और जीता था. यानी पिछले लंबे समय से यहां पर एनडीए का ही दबदबा है. बाढ़ विधानसभा सीट पर राजपूत वोटों के अलावा यादव, मुस्लिम और अनुसूचित जातियों के वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है.
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कुल कितने हैं वोटर
बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में कुल 274837 वोटर हैं. पिछले चुनाव में यहां कुल 148278 वोट डाले गए थे. बाढ़ विधानसभा का सबसे बड़ा मुद्दा फिलहाल अलग जिला बनाना है. पिछले लंबे समय से यहां के लोग अलग जिला बनाए जाने की बात कर रहे हैं. इसके अलावा सड़क, बेरोजगारी और कृषि में होने वाला नुकसान को भी लोग मुद्दा मानते हैं.
इस बार किसके बीच है टक्कर?
बाढ़ विधानसभा सीट पर इस बार कांटे की टक्कर मानी जा रही है. महागठबंधन की तरफ से आरजेडी ने बाहुबली कर्ण वीर सिंह उर्फ लल्लू मुखिया को मैदान में उतारा है. इस बाहुबली नेता ने 2020 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और अच्छा प्रदर्शन किया था. आरजेडी ने यादव वोटर्स को अपनी तरफ खींचने के लिए लल्लू मुखिया पर दांव लगाया है. उधर बीजेपी की तरफ से इस बार ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू का टिकट काटकर डॉ सियाराम सिंह को उम्मीदवार बनाया है. यही वजह है कि महागठबंधन और एनडीए के बीच इस बार मुकाबला काफी दिचलस्प माना जा रहा है.