Bihar Election 2025: बिहार में बिना इस चीज के विज्ञापन नहीं दे पाएंगे राजनीतिक दल, गाइडलाइन हुई जारी

Bihar Election 2025: बिहार में विधासनभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग की तरफ से गाइडलाइन जारी की गई है, जिसमें बताया गया है कि बिना अप्रूवल के किसी भी इंटरनेट-आधारित मीडिया/वेबसाइट पर कोई भी राजनीतिक विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा.

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बिहार चुनाव को लेकर गाइडलाइन हुई जारी

Bihar Election 2025: बिहार चुनावों से ठीक पहले चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनावी विज्ञापन के प्रकाशन को लेकर जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं. जिसमें हर पंजीकृत/राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दल और हर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को प्रकाशन से पहले सोशल मीडिया सहित इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर सभी राजनीतिक विज्ञापनों के पूर्व-प्रमाणन के लिए मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (Media Certification and Monitoring Committee (MCMC) को आवेदन करना होगा.

चुनाव आयोग के नियम लागू

चुनाव आयोग ने 6 अक्टूबर, 2025 को ही बिहार विधानसभा के आम चुनाव और 6 राज्यों तथा जम्मू एवं कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश के 8 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनावों की घोषणा की थी. जिसके बाद अब इन जगहों पर आचार संहिता लागू कर दी गई है, जिसकी जानकारी और नियम उम्मीदवारों को बताए जा रहे हैं. 

अप्रूवल लेना जरूरी

चुनाव आयोग की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार राजनीतिक विज्ञापनों के पूर्व-प्रमाणन के लिए जिला और राज्य स्तर पर MCMC का गठन किया गया है. चुनाव आयोग ने तय किया है कि संबंधित MCMC के अप्रूवल के बिना राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों की तरफ से सोशल मीडिया वेबसाइटों सहित किसी भी इंटरनेट-आधारित मीडिया/वेबसाइट पर कोई भी राजनीतिक विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा. MCMC के प्रतिनिधि मीडिया में पेड न्यूज के संदिग्ध मामलों पर भी कड़ी निगरानी रखेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे.

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चुनावी खर्च की भी देनी होगी जानकारी

साथ ही, सोशल मीडिया पर उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर भी आयोग कड़ी नजर रख रहा है. इसे लेकर आयोग ने कहा. 'चुनावी परिदृश्य में सोशल मीडिया की पहुंच को देखते हुए, उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करते समय अपने प्रामाणिक सोशल मीडिया खातों का विवरण साझा करने का भी निर्देश दिया गया है'. इतना ही नहीं राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार पर होने वाले खर्च की भी पूरी जानकारी आयोग को देनी होगी.

आयोग ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि राजनीतिक दलों को विधानसभा चुनाव खत्म होने के 75 दिनों के भीतर सोशल मीडिया वेबसाइटों सहित इंटरनेट के माध्यम से चुनाव प्रचार पर किए गए खर्च का ब्योरा भी भारत निर्वाचन आयोग को देना चाहिए.

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