बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. उसे केवल छह सीटों और 8.71 फीसदी वोटों से सामना करना पड़ा. कांग्रेस हाईकमान इस करारी हार की गुरुवार को समीक्षा करेगा. इसके लिए बिहार कांग्रेस के प्रमुख राजेश राम, कटिहार के सांसद तारीक अनवर और पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव दिल्ली रवाना हो गए हैं. इस बैठक में कांग्रेस के उम्मीदवार भी शामिल होंगे.
नेताओं की नाराजगी पर क्या बोले राजेश राम
इस बार के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन उनके इस्तीफे पर केंद्रीय नेतृत्व ने कोई फैसला नहीं किया है.दिल्ली जाने से पहले राजेश राम ने एनडीटीवी से कहा कि उनके इस्तीफे पर केंद्रीय नेतृत्व फैसला करेगा, उसका फैसला पर मैं अमल करुंगा. कांग्रेस को बिहार में मिली बड़ी हार के बाद पार्टी में हो रहे विरोध के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस लोकतांत्रिक पार्टी है, टिकट नहीं मिलने से नेताओं में नाराजगी है, ये लोग घर के हैं और नाराज होने पर घर में ही मांग करेंगे.
वहीं कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने बैठक के सवाल पर पर कहा यह समीक्षा बैठक है. चुनाव से जुड़ी हुई बातों पर चर्चा होगी. कांग्रेस कहा सफल रही और हार का क्या कारण रहा, इस पर चर्चा होगी, अपनी कमियों को आने वाले समय में सुधारा जाएगा.
बाबरी मस्जिद बनाने पर क्या बोले तारिक अनवर
कांग्रेस 14 दिसंबर को एसआईआर के खिलाफ रैली करने जा रही है. उन्होंने कहा कि 12 राज्यों में जो एसआईआर चुनाव आयोग कर रहा है, उस पर हमारा विरोध रहेगा. विपक्ष पूरा इसका विरोध करेगा, कई राज्य सरकारें इसका विरोध कर रही हैं.इस मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से बूल लेबल अधिकारियों की मौत का जिम्मेदार बीजेपी को ठहराने के सवाल पर अनवर ने कहा कि बीएलओ पर दबाव बनाया जा रहा है. सुसाइड नोट में भी दबाव की बात बीएलओ लिखकर खुदकुशी कर रहे हैं. चुनाव आयोग को किसी की चिंता नहीं है. पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद बनाने की बात पर अनवर ने कहा कि मंदिर-मस्जिद बनाने का काम राजनीतिक दलों का नहीं है. यह काम धर्म गुरुओं का है.
दिल्ली रवाना होने से पहले पूर्णिया से निर्दलीय सांसद और कांग्रेस समर्थक पूप्पू यादव ने बिहार कांग्रेस नेताओं नेतृत्व के इस्तीफे की मांग के सवाल पर कहा कि यह मुद्दा डिसिप्लिन कमेटी का है. यह मुद्दा नेतृत्व का है, मैं इसमें कहीं नहीं आता हूं. उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह सब चलता रहता है.उन्होंने कहा कि इस्तीफा मांगने वालों को भी अपने गिरेबान में झांकना चाहिए, उन्हें अपने दायित्व और जिम्मेदारी का एहसास करना चाहिए.
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