- बिहार में एलजेपी आर की 29 सीटों में से 9 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
- रजौली और गोविंदपुर सीटें एलजेपी आर को दी गईं लेकिन उम्मीदवार बीजेपी द्वारा बनाए गए हैं.
- गोविंदपुर सीट से एलजेपी आर ने बीजेपी जिलाध्यक्ष अनिल मेहता की पत्नी विनिता मेहता को उम्मीदवार बनाया है.
गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र से एलजेपी आर की प्रत्याशी विनिता मेहता हैं. विनिता रोह के जिला पार्षद हैं. विनिता बिहार के नवादा बीजेपी के जिलाध्यक्ष अनिल मेहता की पत्नी हैं. विनिता गोविंदपुर से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने को लेकर कई सालों से जनसंपर्क कर रही थी. लेकिन एनडीए की सीट शेयरिंग में यह सीट एलजेपी आर के खाते में चली गई. एलजेपीआर प्रमुख चिराग पासवान ने बीजेपी जिलाध्यक्ष अनिल मेहता की मौजूदगी में विनिता मेहता को गोविंदपुर क्षेत्र का सिंबल दे दिया. जाहिर तौर पर बीजेपी की विनिता एलजेपीआर की उम्मीदवार बन ग.।
बिहार में विनिता अकेले ऐसी बीजेपी की नेता नही हैं, जिन्हें एलजेपी आर ने उम्मीदवार बनाया है. रजौली सुरक्षित सीट से बीजेपी लगातार लड़ती रही है. लेकिन यह सीट एलजेपी आर को दे दी गई. लेकिन उम्मीदवार बीजेपी का बनाया गया. एलजेपी आर ने रजौली में नवादा जिला बीजेपी अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष रहे विमल राजवंशी को उम्मीदवार बनाया है. रजौली में बीजेपी से स्थानीय सांसद विवेक ठाकुर का उम्मीदवार विमल राजवंशी ही थे. लेकिन यह सीट एलजेपी आर के हिस्से में चली गई. लेकिन उम्मीदवार बीजेपी के रहे.
एलजेपीआर के 29 में से 9 सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार
एलजेपी आर की टिकट पर बीजेपी के उम्मीदवार सिर्फ गोविंदपुर और रजौली तक सीमित नहीं है. एलजेपीआर के 29 सीटों में से नौ सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. जाहिर तौर पर एनडीए की जब सीट शेयरिंग हुई थी तब बीजेपी और जेडीयू को 101-101 सीटें मिली थी. जबकि हम सेक्युलर को 6 और आरएलएम को 6 सीटें मिली थी. एलजेपीआर की तुलना में कम सीटें मिलने पर आरएलएम प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा और हम सेक्युलर प्रमुख जीतन राम मांझी ने अपनी पीड़ा बयां की थी. जबकि जदयू प्रमुख नीतीश कुमार ने एलजेपी कोटे में दिए गए जेडीयू के चार सीटों पर अपनी उम्मीदवारी दे दी. लेकिन बीजेपी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की.
सीट बंटवारे पर बीजेपी की चुप्पी की क्या है मायने
बीजेपी की चुप्पी की दो बड़ी वजह बताई गई. पहला कि एलजेपीआर प्रमुख चिराग पासवान का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सियासी हनुमान रहे हैं. दूसरा केन्द्र की एनडीए सरकार में चैथा बड़ा सहयोगी दल एलजेपीआर है, जिनके पांच सांसद हैं. लेकिन देखें तो, बीजेपी के इन दो बड़ी वजहों के अलावा एक और बड़ी वजह एलजेपीआर की सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार का होना रहा है. चूकिं वैसे तो बीजेपी 101 सीटों पर पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ रही है. यह पिछले चुनाव से नौ सीटें कम है. चूकिं 2020 के चुनाव में बीजेपी 110 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. लेकिन उम्मीदवारी का आंकलन करें तो बीजेपी 2020 के चुनाव जितनी सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
यह पिछले चुनाव की याद दिलाता है. 2020 के चुनाव में एलजेपी 135 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इनमें कई सीटों पर एलजेपी की टिकट पर बीजेपी नेता उषा विधार्थी, राम नरेश चैरसिया और राजेद्र सिंह जैसे कई लोग चुनाव लड़े थे. हालांकि यह भी संभव है कि एलजेपीआर के पास दमदार उम्मीदवार नहीं होने की वजह से बीजेपी कंडिडेट को तवज्जों दिया जा रहा हो. लेकिन एलजेपीआर की टिकट पर बीजेपी के उम्मीदवार उतारा जाना सहयोगी दलों को भी अखर सकता है.
एलजेपी आर के 9 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार
बिहार बिधानसभा 2025 के चुनाव में गोविंदपुर और रजौली के अलावा बख्तियारपुर, मनेर, बोचहा, परवता, चेनारी, बोधगया और बेलसंड के सीट पर एलजेपीआर की सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार हैं. शायद यही शर्त पर बीजेपी अपनी सीटें एलजेपीआर को दे दी है. गया जिले के बोधगया सुरक्षित का ही उदाहरण लें. यह बीजेपी की सीट रही है. पिछले चुनाव में बीजेपी दूसरे स्थान पर रही थी. लेकिन यह सीट एलजेपीआर को दे दी गई है. बोधगया में एलजेपीआर ने बीजेपी के पूर्व विधायक श्यामदेव पासवान को उम्मीदवार बनाया है.
बख्तियारपुर से अरूण जबकि जितेंद्र को मनेर का उम्मीदवार
बख्तियारपुर से बीजेपी खुद चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी. ललन सिंह, अरूण कुमार, जितेंद्र यादव और लल्लू मुखिया बीजेपी उम्मीदवार थे. लेकिन यह सीट एलजेपी आर के खाते में चली गई. दल जरूर बदला. लेकिन उम्मीदवार बीजेपी के अरूण कुमार को ही बनाया गया है. दूसरी तरफ, बख्तियारपुर से बीजेपी से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे जितेंद्र यादव को मनेर से एलजेपीआर की सीट पर उतार दिया गया है.
बोचहा में बीजेपी की बेबी देवी और चेनारी से मुरारी गौतम
बोचहा से एलजेपी आर ने बेबी देवी को उम्मीदवार बनाया है. 2022 के उपचुनाव में बेबी देवी बोचहा से बीजेपी उम्मीदवार थी. तब राजद के अमर पासवान से पराजित हो गईं थी. दूसरी तरफ, एलजेपीआर ने चेनारी विधानसभा सीट से मुरारी प्रसाद गौतम को उम्मीदवार बनाया है. वैसे तो 2009 और 2020 में मुरारी गौतम कांग्रेस से निर्वाचित हुए थे. लेकिन 2025 का चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी की सदस्यता ली थी. यह सीट एलजेपी आरके खाते में चली गई। लेकिन उम्मीदवार बीजेपी के मुरारी गौतम को बनाया गया है.
जदयू कोटे से एलजेपीआर को मिली सीटें पर भी बीजेपी उम्मीदवार
देखें तो, कई सीटें जदयू खाते की एलजेपी आर को दी गई। लेकिन इन सीटों पर भी बीजेपी के उम्मीदवार उतारे गए हैं. परवता सीट जदयू की थी. 2020 में जदयू के संजीव कुमार निर्वाचित हुए थे. फिलहाल, संजीव राजद में चले गए. जदयू की यह सीट एलजेपीआर को दे दी गई. लेकिन उम्मीदवार बीजेपी के बाबूलाल शौर्य बनाए गए हैं. दूसरी तरफ, बेलसंड से अमित कुमार को उम्मीदवार बनाया गया है. इस सीट से राजद के संजय कुमार जीते थे. जबकि जदयू की सुनीता चैहान पराजित हुई थी. लेकिन जदयू कोटे की यह सीट एलजेपी आर को मिली. लेकिन उम्मीदवार बीजेपी के अमित कुमार बनाए गए हैं.