सकरा विधानसभा: सिर्फ 1537 वोटों से जीती थी JDU, इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार!

संपूर्ण मुजफ्फरपुर जिले की सीटवार स्थिति मिली-जुली है. सकरा विधानसभा पर जदयू का कब्जा है, जबकि कांटी, गायघाट, मीनापुर और बोचहा सीटों पर राजद का वर्चस्व है. जिले की कुढ़नी, औराई, बरूराज, साहेबगंज और पारू सीटें भाजपा के खाते में हैं, और मुजफ्फरपुर नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का प्रतिनिधित्व है.

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बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की सकरा विधानसभा सीट समस्तीपुर और वैशाली जिलों से सटी हुई है, जो इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है. इस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे सड़क निर्माण और बेरोजगारी के कारण होने वाले पलायन को रोकना है. स्थानीय जनता की मुख्य समस्याएँ मुख्य सड़कों का निर्माण न होना और रोजगार की कमी है. 2020 की वोटर लिस्ट के अनुसार, इस विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 56 हजार मतदाता हैं. यहाँ मुस्लिम और यादव मतदाता सबसे अहम भूमिका में हैं, जबकि राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण, कोइरी, रविदास और पासवान मतदाताओं का प्रभाव भी निर्णायक है.

सकरा विधानसभा सीट पर मुकाबला हमेशा कांटे का रहा है. 2020 के विधानसभा चुनाव में, जदयू के अशोक कुमार चौधरी ने कांग्रेस के उमेश कुमार राम को महज 1,537 वोटों के बहुत कम अंतर से हराकर जीत हासिल की थी. अशोक कुमार चौधरी को 67,265 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के उमेश कुमार राम को 65,728 वोट मिले थे. इससे पहले, 2015 के विधानसभा चुनाव में, राजद के लाल बाबू राम ने भाजपा के अर्जुन राम को हराकर यह सीट जीती थी. अगले चुनाव में, जदयू के अशोक कुमार चौधरी को कांग्रेस के उमेश कुमार राम या राजद के लाल बाबू राम से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है.

मुजफ्फरपुर जिले की सीटवार स्थिति मिली-जुली है. सकरा विधानसभा पर जदयू का कब्जा है, जबकि कांटी, गायघाट, मीनापुर और बोचहा सीटों पर राजद का वर्चस्व है. जिले की कुढ़नी, औराई, बरूराज, साहेबगंज और पारू सीटें भाजपा के खाते में हैं, और मुजफ्फरपुर नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का प्रतिनिधित्व है.

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