LIVE: बिहार में भूमिहारों वाली सीटों के नतीजे, NDA ने ले ली है लीड, जानें हर सीट का हाल

बिहार के कई इलाकों में भूमिहार वोटर्स की संख्या इतनी है कि वे जीत-हार का फैसला कर सकते हैं. चनपटिया से लेकर चकाई तक इनका मजबूत प्रभाव रहा है.

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  • बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भूमिहार समुदाय की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है
  • एनडीए ने इस चुनाव में 32 भूमिहार उम्मीदवारों को टिकट दिया जबकि महागठबंधन ने 15 टिकट दिए थे
  • भूमिहार वोटर्स का प्रभाव चनपटिया, चकाई, केसरिया, मोतिहारी, सुरसंड, बाजपट्टी सहित दर्जनों सीट पर है
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पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतों की गिनती की शुरुआत हो गई है. इस बार का चुनाव जातीय समीकरणों के लिहाज से बेहद दिलचस्प रहा है. खासकर भूमिहार समुदाय पर दोनों प्रमुख गठबंधनों एनडीए और महागठबंधन ने जमकर दांव खेला है. भूमिहार वोटर्स बिहार की राजनीति में लंबे समय से प्रभावशाली रहे हैं और इस बार उनकी भूमिका निर्णायक मानी जा रही है.  आइए जानते है ंभूमिहार बहुल सीटों पर कौन आगे चल रहा है और कौन पीछे हैं. 

भूमिहार वोटर्स का दबदबा

बिहार के कई इलाकों में भूमिहार वोटर्स की संख्या इतनी है कि वे जीत-हार का फैसला कर सकते हैं. चनपटिया से लेकर चकाई तक इनका मजबूत प्रभाव देखा गया है. पारंपरिक रूप से एनडीए के साथ जुड़े रहने वाले इस समुदाय को साधने के लिए महागठबंधन ने भी पूरी ताकत झोंकी है. यही वजह है कि उम्मीदवारों के चयन में दोनों गठबंधनों ने भूमिहार नेताओं को प्राथमिकता दी.

गठबंधनों की रणनीति

एनडीए ने इस चुनाव में 32 भूमिहार उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जबकि महागठबंधन ने 15 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. यह आंकड़ा बताता है कि दोनों पक्षों ने भूमिहार वोट बैंक को लेकर कितनी गंभीर रणनीति बनाई है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भूमिहार वोटर्स का रुझान कई सीटों पर जीत-हार तय कर सकता है.

बिहार में कई ऐसी सीटें हैं जहां भूमिहार वोटर्स है निर्णायक

बिहार में कई ऐसी सीटें हैं जहां भूमिहार वोटर्स का दबदबा है. इनमें केसरिया, मोतिहारी, सुरसंड, बाजपट्टी, बिस्फी, जाले, सिवान, एकमा, बेगूसराय, मोकामा, बिक्रम, गोह और चकाई जैसी सीटें शामिल हैं. इन इलाकों में भूमिहार समुदाय की संख्या इतनी है कि उनका समर्थन किसी भी उम्मीदवार के लिए जीत की कुंजी साबित हो सकता है.

राजनीतिक समीकरण और असर

एनडीए के लिए भूमिहार वोटर्स परंपरागत समर्थन का आधार रहे हैं. हालांकि, महागठबंधन ने इस बार जातीय समीकरण को साधने के लिए भूमिहार नेताओं को आगे कर अपनी रणनीति को मजबूत किया है. चुनावी मैदान में यह मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

सीटआगे पीछे
 चनपटिया
रक्सौल
केसरिया
कल्याणपुर
पिपरा
मोतिहारी
चिरैया
सुरसंड
बाजपट्टी
रून्नीसैदपुर
हरलाखी
बिस्फी
महिषी
जाले
मुजफ्फरपुर
कांटी
पारू
सिवान
गोरियाकोठी
एकमा
बनियापुर
मढ़ौरा
लालगंज
वैशाली
सरायरंजन
तेघरा
मटिहानी
साहेबपुरकमाल
बेगूसराय
परबत्ता
बिहपुर
भागलपुर
लखीसराय
बरबीघा
मोकामा
बिक्रम
तरारी
ब्रह्मपुर
अरवल
जहानाबाद
घोसी
गोह
टिकारी
हिसुआ
वारसलीगंज
चकाई

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