
Who Can Wear Panna Stone: ज्योतिष में रत्नों का विशेष महत्व रहा है. प्राचीन समय से ही रत्नों को ग्रहों की ऊर्जा से जोड़कर देखा जाता है. इन्हीं नौ प्रमुख रत्नों में से एक है पन्ना (Emerald), जो हरे रंग का होता है और बुध ग्रह से संबंधित माना जाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह बुद्धि, सोचने-समझने की क्षमता, वाणी, शिक्षा, व्यापार, लेखन और गणना का कारक होता है. आइए एस्ट्रोलॉजर से जानते हैं पन्ना रत्न किन लोगों को पहनना चाहिए और इस दौरान किन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है.
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कौन-कौन लोग पन्ना पहन सकते हैं?
इसे लेकर NDTV संग हुई बातचीत के दौरान एस्ट्रोलॉजर जय मदान ने बताया, जिन लोगों का काम दिमागी क्षमता और संवाद पर आधारित होता है, उनके लिए पन्ना उपयोगी माना जाता है. जैसे- शिक्षक, लेखक, पत्रकार, वकील, अकाउंटेंट, बैंककर्मी, व्यापारी, मार्केटिंग प्रोफेशनल, उद्यमी आदि. माना जाता है कि पन्ना पहनने से निर्णय लेने की शक्ति, एकाग्रता और कम्युनिकेशन स्किल बेहतर हो सकती है.
पन्ना किस राशि के लिए अच्छा है?
राशि के अनुसार, मिथुन और कन्या राशि, जिन पर बुध ग्रह का शासन होता है, इनके लिए पन्ना अनुकूल माना जाता है. हालांकि, ज्योतिषाचार्य यह भी कहते हैं कि केवल राशि देखकर ही रत्न नहीं पहनना चाहिए. हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है और उसमें बुध की स्थिति मजबूत या कमजोर हो सकती है. इसलिए कुंडली विश्लेषण बहुत जरूरी माना जाता है.
कब न पहनें पन्ना?
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में हो, तो पन्ना पहनने से फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है. ऐसी मान्यता है कि इससे मानसिक बेचैनी, भ्रम या तनाव बढ़ सकता है. इसी कारण कई ज्योतिषी पहले कुछ दिनों तक पन्ना पहनकर परीक्षण करने की सलाह देते हैं.
पन्ना पहनने की विधि
परंपरागत रूप से पन्ना सोने या चांदी में जड़वाकर दाहिने हाथ की छोटी उंगली में बुधवार के दिन पहना जाता है. पहनने से पहले रत्न को शुद्ध करना भी धार्मिक प्रक्रिया का हिस्सा माना जाता है.
एस्ट्रोलॉजर ये भी कहती हैं, पन्ना रत्न को किसी चमत्कार की तरह नहीं देखना चाहिए. यह मेहनत, अनुशासन और कौशल का विकल्प नहीं है. इसे केवल आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच को मजबूत करने वाला एक माध्यम माना जाता है. असली सफलता साफ सोच, ईमानदार प्रयास और निरंतर मेहनत से ही मिलती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)