• होम
  • ज्योतिष
  • थाली में एकसाथ 3 रोटी ना परोसने का क्या है कारण, मान्यतानुसार जानिए वजह

थाली में एकसाथ 3 रोटी ना परोसने का क्या है कारण, मान्यतानुसार जानिए वजह

Astrology: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस कारण से जब दादी या मम्मी खाना परोसती हैं तो कभी भी थाली में तीन रोटियां नहीं डालतीं.

Written by Updated : November 22, 2022 1:57 PM IST
थाली में एकसाथ 3 रोटी ना परोसने का क्या है कारण, मान्यतानुसार जानिए वजह
इस कारण से तीन रोटी परोसना नहीं माना जाता अच्छा.
FacebookTwitterWhatsAppInstagramLinkedinKoos

Astrology: किसी को असल कारण पता हो या ना पता हो लेकिन कई भारतीय परिवारों में हमेशा से ही यह माना जाता रहा है कि थाली में कभी भी तीन रोटियां नहीं परोसनी चाहिए. मां अगर बच्चों को कभी तीन रोटियां लेते देख भी लेती हैं तो तुरंत हाथ झड़क देती हैं. ना सिर्फ रोटी बल्कि परांठे, पूड़ी या चीला आदि भी एकसाथ तीन नहीं परोसे जाते हैं. भोजन में तीन रोटियां (3 Roti) एकसाथ ना परोसने के पीछे कुछ मान्यताएं जुड़ी हुई हैं जिनके आधार पर तीन तिगाड़ा जैसी बातें कही जाती हैं.

Lord Vishnu: मान्यतानुसार गुरुवार के दिन नहीं करने चाहिए ये 5 काम, क्रोधित हो सकते हैं भगवान विष्णु

तीन रोटियां ना परोसने का कारण 


संख्या ज्योतिषी में धार्मिक कार्यों में तीन संख्या अच्छी नहीं मानी जाती. वहीं, मान्यतानुसार तीन को पूजा पाठ में या आम जीवन में भी दूर रखना चाहिए जिससे उसका बुरा प्रभाव कम से कम पड़े.   


यह भी माना जाता है कि मृतक के नाम से लगाई जाने वाली भोजन की थाली में तीन रोटियां रखी जाती हैं जिसके कारण जीवित की थाली में तीन रोटियां रखना अशुभ मानते हैं. इसलिए परिवारों में लोग एक ही प्लेट में चाहे कितनी ही रोटी या पूड़ी परोसें लेकिन कभी तीन नहीं परोसते. 


यह भी माना जाता है कि खाने में तीन रोटी एकसाथ इसलिए नहीं खानी चाहिए क्योंकि शरीर के वजन को बराबर और कंट्रोल में रखने के लिए दो रोटी खाना पर्याप्त है. एक कटोरी दाल, 50 ग्राम चावल, दो रोटी और एक कटोरी सब्जी को सबसे अच्छा माना जाता है. 


रोटी के अलावा भारतीय परिवारों में और भी कई खाने से जुड़ी बातें कही जाती हैं. यह सभी धार्मिक मान्यताएं हैं जो सालों से अलग-अलग कारणों से मानी जाती रही हैं. 

देखा जाए तो 3 रोटी ना खाई जाने जैसी मान्यताएं आंख बंद करके सदियों से मानी जाती आ रही हैं जबकि इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. लोगों को अपने परिवार में कम से कम इस बात की कोशिश करनी चाहिए कि वे विश्वास और अंधविश्वास की पहचान करें और ऐसी ही बातों का पालन करें जो कोई ठोस कारण रखती हैं.

भोलेनाथ की पूजा में इस रंग के कपड़े पहनने माने जाते हैं शुभ, कुछ बातों का ध्यान रखना भी है जरूरी

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)