
Sankatmochan Hanuman Ashtak Lyrics: हिन्दू धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है. माना जाता है कि जो भी भक्त श्रद्धाभाव से बजरंगबली की पूजा अर्चना करता है उसके जीवन से सभी तरह के रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं. हनुमान जी की विशेष कृपा पाने के लिए मंगलवार को हनुमान चालीसा के साथ-साथ संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करना भी लाभकारी माना जाता है. साथ ही इससे मानसिक शारीरिक कष्ट से भी मुक्ति मिलती है. हनुमान अष्टक का पाठ करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है. आइए जानते हैं, हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए किन नियमों का ध्यान रखना चाहिए.
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हनुमान अष्टक का पाठ करने के नियम
1. स्वच्छता का रखें ध्यान
संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करने के लिए पहले आप सुबह उठकर स्नान कर लें और साफ-सुथरे कपड़े पहन लें. साथ ही पूजा स्थल की भी अच्छे से साफ-सफाई कर लें.
2. हनुमान जी के साथ रखें प्रभु राम की तस्वीर
संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करने से पहले आप हनुमान जी की तस्वीर के साथ प्रभु राम की भी तस्वीर साथ रखें. इसके बाद घी का दीपक जलाएं.
3. शुद्ध मन से करें पाठ
दीपक जलाने के बाद आप हनुमान जी का ध्यान करें और फिर पूरे श्रद्धाभाव और शांत मन से संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करें. इस दौरान आप किसी भी तरह की जल्दबाजी करने से बचें
4. भोग लगाएं
पाठ करने के बाद आप हनुमान जी को भोग लगाएं. आप बूंदी के लड्डू, केले, गुड़-चना आदि चीजें भोग के लिए चुन सकते हैं.
हनुमान अष्टक के फायदे
- अगर आपके जीवन में बहुत समय से किसी भी प्रकार की समस्या चल रही है और तमाम प्रयासों के बाद भी हल नहीं निकल रहा है तो आप संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करना शुरू करें. हनुमान जी प्रसन्न होकर आपकी सभी तरह की परेशानी हर लेंगे.
- घर के क्लेश, लड़ाई-झगड़े, मतभेद को खत्म करने के लिए आप नियमित रूप से हनुमान अष्टक का पाठ कर सकते हैं.
- किसी बीमारी से आप बहुत समय से परेशान हैं तो आप विधि विधान से हनुमान अष्टक का पाठ कर सकते हैं. मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धाभाव से पूजा करता है उसके जीवन से बजरंगबली सभी तरह के रोग हर लेते हैं.
यहां पढ़ें संकटमोचन हनुमान अष्टक पाठ (Hanuman Ashktak Path Lyrics in Hindi)
बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
।। दोहा। ।
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.