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Kanya Pujan: नवरात्रि की अष्टमी व नवमी तिथि पर इस समय तक कर लें कन्यापूजन, जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त 

Navratri Kanya Pujan: नवरात्रि की समाप्ति के साथ ही कन्यापूजन का विशेष महत्व होता है. अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्यापूजन करने से पहले शुभ मुहूर्त जरूर जान लें यहां.

Written by , Edited by Updated : March 29, 2023 12:14 PM IST
Kanya Pujan: नवरात्रि की अष्टमी व नवमी तिथि पर इस समय तक कर लें कन्यापूजन, जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त 
Chaitra Navratri: नवरात्रि की अष्टमी व नवमी तिथि पर कन्यापूजन किया जाता है. 
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Kanya Puja: मान्यतानुसार नवरात्रि की समाप्ति पर भक्त नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्यापूजन करते हैं. इन दिनों में घर में छोटी बालिकाएं बुलाई जाती हैं, उन्हें प्रसाद परोसा जाता है और टीका आदि करके उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. इसके पीछे मान्यता है कि बालिकाएं साक्षात मां दुर्गा (Maa Durga) का रूप होती हैं. चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौं रूपों की पूजा होती है इसीलिए अष्टमी (Ashtami) या नवमी तिथि पर घर में नौ कन्याएं बुलाई जाती हैं. साथ ही, अष्टमी तिथि पर महागौरी और नवमी तिथि पर मान्यतानुसार मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है. जानिए इन दोनों ही दिनों में कन्यापूजन का शुभ मुहूर्त कब है. 

अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का मुहूर्त | Kanya Pujan Muhurt On Ashtami And Navami 

नवरात्रि की अष्टमी तिथि 29 मार्च के दिन है. इस दिन अमृत चौघड़िया में कन्यापूजन किया जा सकता है. अमृत चौघड़िया मुहूर्त सुबह 6 बजकर 37 मिनट से सुबह 8 बजकर 9 मिनट तक रहेगा. इस समयावधि में कन्यापूजन किया जाना बेहद उत्तम रहेगा. इसके पश्चात सुबह 11 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक भी कन्यापूजन किया जा सकता है. 
30 मार्च, नवमी (Navami) तिथि पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 46 मिनट तक बताया जा रहा है. इसके बाद सुबह 10 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक भी कन्यापूजन किया जा सकता है. हालांकि, अष्टमी और नवमी तिथि पर इन शुभ मुहूर्त के अलावा भी पूरे दिन कभी भी कन्यापूजन कर सकते हैं.

कन्यापूजन की विधि 

  • अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्यापूजन करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. यदि भक्त व्रत रख रहे हैं तो वे व्रत (Navratri Vrat) का संकल्प लेते हैं. 
  • अब घर में रोज की ही तरह पूजा की जाती है और देवी मां को भोग लगाया जाता है. 
  • इसके बाद घर में कन्याएं बुलाई जाती हैं. 
  • कन्याओं के पैर धुलवाए जाते हैं और चटाई बिछाकर उन्हें बिठाते हैं.
  • हाथ में कलावा बांधा जाता है और माथे पर तिलक लगाते हैं. 
  • प्रसाद (Prasad) में हलवा, चना, पूरी, नारियल और बताशे आदि परोसतें हैं. 
  • कन्याओं को साथ ही कोई उपहार, श्रृंगार की वस्तु, एक रुपए या श्रृद्धा से कोई भी राशि दी जाती है. 
  • इसके बाद कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है और उन्हें घर भेजते हैं. 
  • इस दिन गाय को पूड़ी खिलाना भी बेहद शुभ माना जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)