
Home Temple's Rule: घर में बना मंदिर सिर्फ पूजा की जगह नहीं होता, बल्कि ये पूरे घर की एनर्जी और माहौल को प्रभावित करता है. कई लोग रोज पूजा करते हैं, लेकिन मंदिर से जुड़े छोटे-छोटे नियमों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. ऐसे में संतों और धर्मगुरुओं की बातें लोगों को सही दिशा दिखाने का काम करती हैं. इन दिनों सोशल मीडिया पर प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे घर के मंदिर से जुड़े जरूरी नियमों को बेहद सरल भाषा में समझाते नजर आ रहे हैं. वीडियो में एक भक्त उनसे सवाल करता है कि मंदिर में कौन-सी चीजें नहीं रखनी चाहिए, ताकि जीवन में नकारात्मक असर न पड़े. इस सवाल के जवाब में महाराज बताते हैं कि मंदिर केवल ईश्वर की उपासना का स्थान होता है और यहां रखी हर वस्तु घर की ऊर्जा को प्रभावित करती है.
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मंदिर में पूर्वजों की फोटो क्यों नहीं लगानी चाहिए
प्रेमानंद महाराज के अनुसार घर के मंदिर में पूर्वजों की तस्वीरें नहीं लगानी चाहिए. मंदिर ईश्वर की उपासना का स्थान होता है, जबकि पूर्वजों की फोटो सम्मान और उन्हें याद करने के लिए होती है. इसलिए उनकी तस्वीरें घर की किसी दूसरी साफ और शांत जगह पर रखनी चाहिए. महाराज मानते हैं कि मंदिर में पूर्वजों की तस्वीर रखने से घर में आर्थिक तंगी और परेशानियां बढ़ सकती हैं, क्योंकि पूजा स्थान की ऊर्जा अलग होती है.
फटी तस्वीरें और पुरानी किताबें बढ़ाती हैं निगेटिविटी
महाराज आगे बताते हैं कि मंदिर में फटी हुई भगवान की तस्वीरें या टूटी हुई मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए. इसके साथ ही फटी-पुरानी धार्मिक किताबें भी घर में नहीं होनी चाहिए. ऐसी चीजें नकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं, जिससे बेवजह खर्च बढ़ सकता है और मानसिक अशांति भी रहती है. इसलिए समय-समय पर मंदिर की साफ-सफाई और पुराने सामान को हटाना जरूरी है.
सूखे फूल ज्यादा दिन तक न रखें
पूजा में चढ़ाए गए फूल जब सूख जाएं, तो उन्हें लंबे समय तक मंदिर में नहीं रखना चाहिए. प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि सूखे फूल घर के माहौल को अशांत करते हैं और पूजा स्थान की पवित्रता को कम कर देते हैं. इसलिए फूलों को समय पर हटाकर सही तरीके से विसर्जित करना चाहिए, ताकि मंदिर में सकारात्मक वातावरण बना रहे.
जीवित साधु-संत की फोटो से परहेज
महाराज ये भी स्पष्ट करते हैं कि घर के मंदिर में किसी जीवित साधु-संत या गुरु की फोटो नहीं रखनी चाहिए. जीवित गुरु की पूजा उनके उपदेशों को जीवन में उतारकर की जाती है, न कि तस्वीर लगाकर. मंदिर में केवल ईश्वर की उपासना होनी चाहिए, जिससे मन और घर दोनों शांत रहें.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.